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________________ आगम (०१) “आचार” - अंगसूत्र-१ (नियुक्ति:+चूर्णि:) श्रुतस्कंध [१], अध्ययन [१], उद्देशक [१], नियुक्ति: [१-६७], [वृत्ति-अनुसार सूत्रांक १-१२] प्रत वृत्यक [१-१२] श्रीआचा-10 खइया वा होजा खोयसमिया या, अणुभवणसण्णा कम्मोदयनिष्फण्णा पार्य सोलसविहा भवति, तंजहा-'आहारभयपरि दिशः रांग यत्रचूर्णिः ID गाहा' गाहा (३९-१२) वितिगिच्छा तेहि तेहिं नाणंतरादीहि सम्मदिहिस्सवि भवति, किनु सेसस्स?, कोहसण्णा कोहज्शव॥१०॥ साओ, एवं माण० माया० लोभ० सोगोय, ओहसण्णा सेससाणाविरहिया केवलं उबओगो, लोगसण्णा सच्चंदवियप्पिया अणेगरूवा, अणवस्स लोगो णस्थि, सोयसुत्न(दोस्थो रणमूह एवमादि, धम्मसण्णा णाम धम्मपियया तस्सीलसेवणा य, जाणणासण्णाए अहिगारो, तं च पडुच भण्णइ-इहमेगेसिं नो सन्ना भवति, संजहा-पुरच्छिमाओ बा दिमाओ आगतो अहमंसि जाव अणुदिसातो आगओ अहमसि' (२-१३) दिस्सते जा सा दिसा ताओ पुण्यमादि, सा सत्तविहा 'णामं ठवणा' गाहा ।। (४०-१३)॥ णामदिसा जहा दिसाकुमारी, ठवणादिसा अक्खणिक्वेवादिसु दिसाविभागो ठाविओ, स पुण सुन| परूवणादिसुवि विञ्जति, दबदिसा 'तेरसपदेसियं खलु' गाहा ।। (४१-१३)। खेतदिसा 'अट्टपदेसो रुपओ गाहा VI (४२-१३)। ईदग्गेयी जमा य गाहा ।। (४३-१३) ।। अंतो सादीआओ'गाहा।। (४५-१४) 'सगढुद्धिसंठियाओं' | गाहाओ (४६-१४) कंठाओ । 'जस्स जओ आइयो उदेह'माहा 'दाहिणपासंमि य' गाहा ।। (४७,४८-१४) ।। भाणियचा, सब्बेमि मेरुगिरी उत्तरतो 'सवेसिं उत्तरेणं' 'जत्थ य जो पण्णवओ णव गाहा कंठ्या (५०,५८-१५)। इदाणि भावदिसा अट्ठारसविहा 'मणुया इंदियकाया' गाहा ।। (६०-१५)। तिरिया काया कम्मभूमगा अकम्मभूमगा य अन्तरदीवगा समुच्छिममणुस्सा बेइंदिय तेइंदिय चउरिदिय पंचेंदियतिरिक्खजोणिया, पुढविकाइया तेउकाइया वाउकाइया आउकाइया वणस्सइकाइयाअग्गषीया मूलवीया बंधषीया पोरखीया देवा नेरदया, एसा भावदिसा, दिस्सति तेण दिसा, तेण प्रकारेण दिस्सति जहा पुढषि-10 |॥१०॥ दीप अनुक्रम [१-१२] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलिता......आगमसूत्र-[१], अंग सूत्र-[१] "आचार" जिनदासगणि विहिता चर्णि: अध्ययन-१ 'शस्त्रपरिज्ञा' आरब्धं प्रथम अध्ययने प्रथम-उद्देशक जीव अस्तित्व' आरब्ध: [14]
SR No.006201
Book TitleAagam 01 ACHAR Choorni
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2017
Total Pages388
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size30 MB
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