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________________ कार करने वाले पू. मुनि श्री गौतम सागर जी म. उस समय शासननुरागी गुणग्राही आराधक पुण्यात्मानों में वे ध्रुव तारा के समान थे। पुनः पू. गोतम सागर जी म. राज्य शासन के छिन्न भिन्न तन्त्र के आधार पर फिसले गये प्रजाजीवन में, धर्मतन्त्र की सुन्यवस्था द्वारा, अपूर्व-शान्ति के अमृत-सिंचन करने के द्वारा, भव्य-जीवों के लिए वे आश्वासन रूप थे। ऐसे पू. श्री गौतम सागर जी म. को मोजस्विनी शास्त्रीय शुद्ध देशना तथा उद्यत विहारिता से आकर्षित होकर मेहसाणा जैन श्री संघ ने वि.स. 1912 का चौमासा आग्रहपूर्वक कराकर विविध धर्म कार्यों से तथा विशिष्ट प्रभावना से उसे स्मरणीय बनाया था । इस चातुर्मास के अन्तर्गत झवेर चन्द जी नाम के नवयुवक चढ़ती युवावस्था में जीवन की सफलता सर्वविरक्ति को स्वीकार करना समझ वैराग्य के रंग में खूब रंग गये तथा पू. गुरुदेव श्री के प्रभु-शासन के संयम-मार्ग में निश्रा प्रदान करने के लिए आग्रहभरी विनती की। पूज्य मुनि श्री गौतम सागर जी म. ने भी क्षरण जीवी तरंग तथा भावनाओं के आवेग में कही अपरिपक्व निर्णयों में जीवन उलझ न जाय अत्तः बारम्बार विविध
SR No.006199
Book TitleSagar Ke Javaharat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAbhaysagar
PublisherJain Shwetambar Murtipujak Sangh
Publication Year
Total Pages272
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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