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भकति प्रदान साधुओं तथा विवेकी श्रावकों के धर्म-प्रेमी भरे आग्रह के वश होकर निरवद्य उपचारों को अपनाते । भावीवश पाँव की वेदना, ज्वर का भराव के उपरांत छाती के बाँये पक्ष में दर्द उत्पन्न हुआ जिससे पू. गच्छाधिपति श्री को बोलने में भी तकलीफ अनुभव होने लगी।
सबको गाढ़ी चिन्ता हुई । भावनगर के श्री संघ में खबर पहुंची वहां विराजमान पू. श्री वृद्धिचन्द्र जी बहुत चितित होकर उत्तम कुशल वैद्यों को लेकर श्री संघ के अग्रगण्यों को भेजा एवं भावनगर पधारने को खुब प्रार्थना की पू. श्री झवेर सागर जी म. आदि 10 ठाणां तथा साध्वी जी 30 से 40 ठाणा तथा 100 से 125 श्रावक, 50 से 60 श्राविकायें चतुविध श्री संघ के साथ पू. गच्छाधिपति श्री का. व. 4 दोपहर भावनगर गांव में पधारे । का. वि 5 भावनगर श्री संघ ने धूमधाम से भव्य स्वागतपूर्वक नगर प्रवेश कराया। पू. श्री वृद्धिचन्द्र जी म. आनन्द भरे तरीके से पू. गच्छाधिपति की बाहय अभ्यातर परिचर्या में खडे पाँव रहने लगे।
माघ सु. 4 से 7 तक खूब गंभीर स्थिति रही। श्वासप्रश्वास की प्रक्रिया अनियमित हो गयी श्री नमस्कार महामंत्र सुनाना प्रारंभ हो गया। परन्तु श्री संघ के पुण्योदय से पुनः माघ सु. 8 से बढता पनी लौटता हो गया। मौन एकादशी की आराधना स्वस्थरुप में की। मौन एकादशी देव वंदन
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