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नहीं है, इससे जल्दी से जल्दो अवसर पर संघ निकालने की. भावना है।
आपको आग्रहभरी नम्र विनति है कि उधर अापको बहुत वर्ष हो गये हैं । पू. गच्छाधिपति के पास उत्तराधिकारी को लेने के लिए आप जैसों को यहां खास आवश्यकता है, साथ ही मेरी भावना है कि आप अवश्यमेव संघ में पधारों। इस रीति से उपस्थित पालीताणा-संघ में जानेकी बात को आगे करके पू. गच्छाधिपति श्री की वंदना के लिये अत्यंत उत्सुक पत्र पढ़कर संघ में सुनाया एवं का. वि. 2 प्रातः केशरियाजी होकर गुजरात अहमदाबाद तरफ विहार की भावना प्रकट की।
श्री संघ के छोटे-मोटे सब ने एकाएक आघात अनुभव किया। परिणामतः सबकी खूब उमंग-प्रभिलाषा से पूज्य श्री अधिक धर्मलाभ देने के लिए स्थिरता का खूब आग्रह किया परन्तु अन्ततः कर्तव्य-निष्ठ की धुरी पर पूज्य श्री ने मौनभाव से सबके धर्मप्रेमी को झेलते रहे । समयोचित-आश्वासन देकर पूज्य श्री ने समझाया। सबने भारी हृदय से विदा ली। धूमधाम से का सु. 15 का चातुर्मास परिवर्तन करके सोसारमा गांव में श्री सिद्धगिरी का पट बाँधकर महातीर्थाधिराज श्री की आराधना सकल श्री संघ के साथ पूज्य श्री ने की। पूज्य श्री ने का. वि 1 को योग्य तैयारी करके अन्तिम २२०