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for प्राराधना में संयुक्त होने की सबको प्रेरणा की। श्री सहस्त्रणा पार्श्वनाथ प्रभु के जिनालय में सामुहिक स्नात्र यदि विधि में उमंग पूर्वक लाभ लेने को श्री सघ ने भी घोषणा की। 70 से 80 नये ओलीवाले वैसे ही 125 से 150 पुराने ओलावाले मिलकर 225 प्रारावक श्री नवपद जो को प्रोली की भव्य आराधना पूज्य श्री की प्रेरणा से संयुक्त हुए ।
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व्याख्यान में छटादार शैली से पूज्य श्री ने श्री पाल चरित्र के प्रसंगों के रहस्यों को समझाकर प्राराधकों को उदात प्रेरणा प्रदान की । आराधकों में से एक श्री जड़ावचंद जी की सुपत्नी सुगनबाई ने भावोल्लास होने से तीन छोड़ का उजमणा भव्य शान्त स्नात्र महोत्सव के साथ करने की भावना जागी । तदनुसार तात्कालिक शीघ्रता से तैयारी कराकर आसोज सुद 15 से उजमणे का प्रारंभ करके ग्रासोज विद 7 का शान्ति स्नात्र रखकर सु. 15 से अट्ठाइ उत्सव शुरु करने की पूज्य श्री से अनुमति प्राप्त की ।
उजमणे की स्थापना गोड़ी जी महाराज के देहरासर के पास उपाश्रय में हुई । अट्ठाई उत्सव श्री सहस्त्रकरणापार्श्वनाथ प्रभु के जिनालय में रखा | भव्य अंगरचना आदि के साथ विविध पूजाओं के कार्यक्रम के साथ श्री वीतराग प्रभु की भक्ति का भव्य कार्यक्रम शुरु हुआ । उसके बाद पूज्य श्री ने लौकिक पूर्व के रूप में दीवाली की पारिता को टालने के
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