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________________ व्यवस्थित तैयारी करने के उपरान्त वाले भाई-बहिनों के रहने के लिये अलग-अलग व्यवस्थित सुविधा इत्यादि काम काज श्री संघ के सहयोग से गिरधर सेठ ने शीघ्रता से करवाना प्रारम्भ कर दिया। आश्विन सु. 7 से श्री नवपद जी की चौगान के देहरे भव्य श्री सिद्ध चक्र जी का यंत्र पधराकर ठाठ से आराधना प्रारम्भ हुई। पूज्य श्री सकल श्री संघ के साथ शहर के उपाश्रय से चौगान के देहरासर के पास के मकान में उपधान के लिए शुभ मुहूर्त रूप में पधारे । श्री उपधान मंडप में श्री नवपद जी की अोली के व्याख्यान प्रारम्भ हुए । सामुदायिक श्री नवपद जी की आराधना, सामूहिक प्रांबील आदि सम्पूर्ण कार्यक्रम भव्य रूप से संयोजित हुआ। आसोज सु 10 के मंगल दिन प्रातः 8.37 मिनिट के मंगल मुहूर्त में श्री उपधान तप की क्रिया पौने चार सौ भाई बहिनों ने उमंग से प्रारम्भ की। अनेक वर्षों में पहली बार श्री उपधान तप की आराधना होकर करने वाले-कराने वाले सब में भारी उमंग थी। अन्य मुहूर्त में 130 आराधकों ने प्रवेश किया। कुल 505 आराधक श्रुतज्ञान के विनयरूप श्री उपधान तप में संयुक्त हुए जिसमें 42 पुरुष बाकी 463 स्त्रियां थी। कार्तिक सुदि पूर्णिमा के दिन उपधान वालों को साधुजीवन की प्रमाले मिले इस उद्देश्य से संयमी जीवन २०७
SR No.006199
Book TitleSagar Ke Javaharat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAbhaysagar
PublisherJain Shwetambar Murtipujak Sangh
Publication Year
Total Pages272
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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