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श्री संघ में पूज्य श्री के मंगल-प्रवचनों से धर्मोल्लास से अपूर्व वृद्धि हुई। एक सप्ताह तक तीर्थ यात्रा के सम्बन्ध में व्याख्यानों से संघ में उत्तम जागृति पाई। संघवी होने की इच्छा रखते किशन जी सेठ को पैसा खर्च करने की उमंग होते हुए भी मेवाड़ जैसे प्रदेश में ऐसा छंरी पालित संघ कभी निकला नहीं होने से लोग आने को तैयार नहीं थे। यह बात पूज्य श्री को किशन सेठ ने चुपके से बताई जिससे एक धारातीर्थ यात्रा के सम्बन्ध में व्याख्यान पूज्य श्री ने फर्माये ।
फागुन सु. 10 के मंगल दिन जिन मंदिर, इन्द्रध्वज, नक्कारा, निशान-गजराज, कोंतल, मंगल वाद्ययंत्र आदि की अपूर्व शोभा के साथ भव्य आडंबर युक्त श्री संघ के साथ पूज्य श्री ने प्रयाण किया। क्रमानुसार फा. वि. 2 के मंगल दिन उदयपुर पहुंचे तब उदयपुर के श्रीसंघ ने भव्य गजराजकांतल-डंका, निशान तथा सरकारी पुलिस बैण्ड आदि सामग्री से श्री संघ का स्वागत किया तथा चौगान के देहरासर के विशाल चौक में श्री संघ को ठहरा दिया। उदयपुर श्री संघ ने साधार्मिक-भक्ति का लाभ लिया। पूज्य श्री की प्रेरणा से उदयपुर श्री संघ में से अनेक यात्री छरी पालना संघ में आ जुड़े।
फा. वि.7 के मंगल प्रभात में केशरियाजी तीर्थ श्री