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कर सकल श्री संघ का बहुमानपूर्वक योग्य समय पर पारणा करके वर्षातप की पूज्य श्री के निश्रा में मंगल समाप्ति की।
पूज्य श्री ने वैसाख सुद षष्ठी के दिन अहमदाबाद की तरफ विहार को तैयारी की, क्योंकि पूज्य श्री के खास विश्वासी तथा पू. गच्छाधिपति श्री के भी निजी भक्त श्रावक श्री गोकुल भाई का पत्र निम्नानुसार प्राया
"गये कल एक पत्र लिखा है जो मिला होगा हो ! विशेष श्री रतलाम वाला सेठ दीपचन्द जी जोरावर मल जी वाला भूपतसंग जी के पुत्र श्री सिद्धाचल जी है। वैसाख सुद 8-9 को उनका अहमदाबाद आने वाले उचित साथी है। इसलिए उस पर तत्काल यहां आना। अन्य उनके आने की ढील हो तो बाद में आवें पर आपको तो प्रथम पाना ही है। क्योंकि आप उन्हें मिलो यह तो ठीक है अतः समय खोना नहीं यह हमारे ध्यान में आता है। तो तुम पालीताणा पत्र लिखना कि मैं कपड़वज से पालीताणा आने का हूं और अमुक तारीख पाऊंगा।
आप अहमदाबाद कब पधारने के हो ? मुझे अहमदाबाद पत्र लिखना और अहमदाबाद मेरे पत्र का ठिकाना-बाई उजम बाई की धर्मशाला में मुनि मूलचन्द जी महाराज के पास यो लिखना जिससे मुझे पहुंच जाय । इस प्रकार जो
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