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की। पू. गच्छाधिपति ने पत्र व्यवहार करके तुमको योग्य सूचना देगें ऐसा आश्वासन देकर विदा किया।
उसके बाद पूज्य गच्छाधिपति ने पू. झवेर सागर जी म. को पत्र लिखकर पूछाया, अतः पूज्य श्री ने लिखा कि "साहेब एक के बाद एक धर्म कार्य के कारण मुझे अाज सात चातुर्मास उपरा-ऊपरी यहां हो गये हैं। समाचारी के अनुसार इस गिरते समय में न आवे तो प्रभुशासन की मर्यादायें अस्त व्यस्त हो जायगी। मैने तो यहां बहुत चक्कर किये, अन्य स्थान विहार के लिए गया, परन्तु ऐसे ऐसे कारण से फिर यहां आना पड़ा तथा सात चातुर्मास उपराऊपरी हुए । अतः आप श्री मुझे इस क्षेत्र से अन्यत्र विचरने की आज्ञा प्रदान करें तो उत्तम हो ।
___ इस मतलब का पत्र व्यवहार हुआ। कुल मिलाकर पूज्य श्री के पत्रों से पू. गच्छाधिपति श्री पूज्य श्री के हृदय की बात समझकर शासन के कार्य से समाचारी के पालन में अपवाद भुगतनापड़े उसका अधिक दोष नहीं लगे प्रादि जताकर पू. गच्छाधिपति ने का. 12 के अन्तिम पत्र में दर्शाया कि-" कपड़वंज वालों की भावना तुम्हारे ऊपर अधिक है पहले भी आप गये थे तब धर्म भावना बढ़ी थी । तो उस श्री संघ का लाभार्थ अब का. वि. 3 के मंगल दिन कपड़वंज की तरफ़ विहार करों यही इष्ट है।