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उदयपुर गोड़ी जी म- का उपाश्रय प्राप्त पुराने पत्रों में से मिल पाया एकपत्र......
प. श्री आत्माराम म. के इस पत्र में पूज्य श्री पर भारोभार हार्दिक बहुत सम्मान झलकता है। पूज्य श्री व उदयपुर श्री संघ को भेजी गयी विनती की पहुंच इसमें है । परन्तु गुजरात तरफ जाने की उतावली या अन्य कोई महत्व के कारण उदयपुर तरफ आने का निर्देश इस पत्र में नहीं है। ___ऐसे महिमाशाली पौढ़-प्रतापी पूज्य श्री दीक्षार्थी बहिनों का भावोल्लास की वृद्धि करने विशिष्ट पर्वो के रहस्यों को व्याख्यान में निस्तारण युक्त पेश करते रहे । दीक्षार्थीयों ने पूज्य श्री की प्रेरणा उपदेश को बराबर ग्रहण कर भक्ति करनेवाले चाहे जितने आग्रह के वश में नहीं होते हुए भी संयमपूर्व भूमिका को मजबूत करने जैसे वासनानिग्रह में सफलरुप से यशस्वी निखर आये।
यों करते हए पौष विद 13 जो शास्त्रीय माह विद 13 कहाता है- जिसको मेरुत्रयोदशी के रुप में युगादिप्रभु श्री ऋषभदेव भगवंत के निर्वाण-कल्याणक के साथ जुड़ा हुआ महापर्व के रुप में कहा जाता वह दिन आया। पूज्य श्री ने व्याख्यान में अत्यधिक भारपूर्वक कहा-"प्रभु ऋषभदेव की
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