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जयोदय महाकाव्य का शैलीवैज्ञानिक अनुशीलन सुलोचना
. सुलोचना जयोदय की नायिका है । वह काशीराज अकम्पन एवं रानी सुप्रभा की ज्येष्ठ पुत्री है । वह हस्तिनापुर नरेश जयकुमार के गुणों का श्रवणकर उन पर अनुरक्त हो जाती है और पिता द्वारा आयोजित स्वयंवर सभा में उनका पति के रूप में वरण करती
वह बुद्धिमती एवं विवेकशील है । स्वयंवर सभा में बुद्धिदेवी द्वारा राजाओं का परिचय देने के लिए प्रयुक्त उक्ति-वैचित्र्य को वह तुरन्त समझ लेती है।
नायिका सुलोचना को माता-पिता से धार्मिक संस्कार मिले हैं। जब वह जयकुमार के गुणों एवं रूप सौन्दर्य के विषय में सुनती है, तो उन्हें प्रेम-सन्देश प्रेषित न कर जिनेन्द्रदेव के चरण कमलों में ध्यान लगाती है । पति, पिता एवं भाईयों के युद्ध भूमि में जाने पर वह उपवास धारणकर जिनालय में बैठती है । जब पति के विजयी होने का समाचार पाती है तभी पिता के साथ घर आती है।
सुलोचना साहसी एवं पतिव्रता नारी है । जब वह गंगा नदी में अपने पति जयकुमार को संकटग्रस्त स्थिति में देखती है, तो घबराती नहीं है; अपितु णमोकार मन्त्र का जाप करती हुई गंगा में प्रविष्ट होती है । उसके शील के प्रभाव से संकट टल जाता है। इसी प्रकार कैलाश पर्वत की यात्रा से लौटते समय जब एक देवी जयकुमार के समक्ष आकर प्रणय निवेदन करती है और जयकुमार के द्वारा निवेदन को ठुकरा दिये जाने पर उन्हें लेकर भागने लगती है, तब सुलोचना किंकर्तव्यविमूढ़ नहीं होती, अपितु देवी को इस प्रकार ललकारती है कि वह जयकुमार को छोड़कर भाग जाती है।
____इस प्रकार सुलोचना में हमें एक सुशील, पतिव्रता, धर्मप्राण, बुद्धिमती एवं साहसी नारी के दर्शन होते हैं। बुद्रिदेवी
राजकुमारी सुलोचना को स्वयंवर सभा में आये राजकुमारों का परिचय देने के लिए बुद्धिदेवी का अवतरण हुआ है । कवि ने उसके स्त्री सुलभ स्वभाव का यथावसर सुन्दर
१. जयोदय, ६/५-१२७ २. वही, सर्ग ६ ३. वही, २०/४८-६५ ४. वही, २४/१०५-१४६
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