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देविन्दत्थय (देवेन्द्र स्तव)
छव्वीस जोयणसया पुढवीणं ताण होइ बाहल्लं । सणकुमार- माहिंदे रयणविचित्ता य सा पुढवी ॥2531
चउवीस जोयणसयाइ पुढवीणं तासि होइ बाहल्लं । सुक्के य सहस्सारे रयणविचित्ता य सा पुढवी ॥ 261 ॥
तेवीस जोयणसयाइं पुढवीणं तासि होइ बाहल्लं । आणय - पाणयकप्पे आरण - ऽच्चुए रयणविचित्ता
उसा पुढवी ॥26॥
बावीस जोयणसयाई पुढवीणं तासि होइ बाहल्लं । गेवेज्जविमाणेसुं, रयणविचित्ता उसा पुढवी ॥ 269॥
इगवीस जोयणसयाइं पुढवीणं तासि होइ बाहल्लं । पंचसु अणुत्तरेसुं, रयणविचित्ता उसा पुढवी ॥273॥
वाभिगमसूत्र में यह वर्णन आंशिक रूप से समान है।
कहिं पहिया सिद्धा ? कहिं सिद्धा पइट्ठिया ? कहिं बोंदि चइत्ताणं कत्थ गंतूण सिज्झई ? | 285॥
अलोए पहिया सिद्धा, लोयऽग्गे य पइट्ठिया । इहं बोंदिं चइत्ताणं तत्थ गंतूण सिज्झई || 286 ||
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जं संठाणं तु इहं भवं चयंतस्स चरिमसमयम्मि । आसीय पएसघणं तं संठाणं तहिं तस्स ॥ 287 ॥