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________________ 31 तुलना-जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति अडयालीसंभाए, वित्थिण्णसूरमंडलं होइ। चउवीसंखलुभाए, बाहल्लं तस्स बोद्धव्वं॥ दो कोसे अगहाणं, णक्खताण तहवइ तस्सद्ध। तस्सद्ध ताराणं तस्सद्धंचेवबाहल्ले॥ तुलना- सूर्यप्रज्ञप्तिः चंदोहितो सिग्घगइसूरे सूरेहिंतो गहा सिग्घगई। गहेहिंतोणखत्ता सिग्घगई, णक्खत्तेहिंतोतारा सिग्घगइ, सव्वप्पगइचंदासव्वसिंग्यगइ तारा। महड्ढियावा ताराहिंतो महिड्ढियाणक्खत्तेहिंतो गहा महिड्ढियागहेहिंतो सूरामहिड्ढिया सूरेहितों चंदा महिड्ढिया सव्वप्पड्ढिया तारासव्वमहिड्ढियाचंदा॥' तुलना-जीवाभिगमसूत्रः से जहन्नेणं पंचधणुसयाई उक्कोसेणं दोगाउवाइ तारारूवजाव अंतरे पन्नत्ते। जहन्नेणं दोण्णि य छावढे जोयणसए उक्कोसेणं बारस जोयणसहस्साई दोण्णि य बायाले जोयणसएतारारूवस्सरय अबाहाए अंतरे पन्नते' 1. जम्बुद्वीप प्रज्ञप्ति, सातवाँ - वक्षकार, सूत्र 165 __ (गणितानुयोग- मुनि कन्हैयालाल कमल', पृ. 447 से उद्धृत) 2. सूर्यप्रज्ञप्ति- घासीलालजी मुनि, प्राभृत - 18 सूत्र 95. 3. जीवाभिगमसूत्र - मुनि घासीलालजी, पृ. 995, सूत्र 116.
SR No.006192
Book TitlePrakrit Ke Prakirnak Sahitya Ki Bhumikaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarmal Jain
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2016
Total Pages398
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size26 MB
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