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________________ 311 रचयिता के संदर्भ में पर्याप्त प्रमाणों के अभाव में कुछ भी कह पाना कठिन है। प्रकीर्णक ग्रंथों के रचयिताओं के संदर्भ में मात्र देवेन्द्रस्तव और ज्योतिषकरण्डक ये दो ग्रंथ ही ऐसे है जिनमें स्पष्ट रूप से इनके रचयिताओं के नामोल्लेख हैं" (परवर्ती प्रकीर्णकों में वीरभद्र द्वारा रचित भक्तपरिज्ञा, कुशलानुबंधि अध्ययन 'चतुःशरण' और आराधनापताका ये तीन प्रकीर्णक ही ऐसे हैं जिनमें इनके रचयिता वीरभद्र का उल्लेख मिलता है)। भक्तपरिज्ञा और कुशलानुबंधि चतुःशरण प्रकीर्णक में लेखक का स्पष्ट नामोल्लेख हुआ है। आराधनापताका प्रकीर्णक में लेखकका स्पष्ट नामोल्लेख तो नहीं हुआ है तथापि इस ग्रंथ की गाथा 51 में यह कहकर की आराधना विधि का वर्णन मैंने पहले भक्तपरिज्ञा में कर दिया है, यह स्पष्ट कर दिया है कि यह ग्रंथ भी उन्हीं वीरभद्र के द्वारा रचित है।" प्रकीर्णकों में चन्द्रवेध्यक, तंदुलवैचारिक, महाप्रत्याख्यान, मरणविभक्ति, गच्छाचार आदि अनेक प्रकीर्णकों के रचयिता के नाम का कहीं कोई निर्देश नहीं मिलता है। यही स्थिति संस्तारक प्रकीर्णक की भी है। अतः संस्तारक प्रकीर्णक के रचयिता कौन है ? इस संदर्भ में कुछ भी बता पाना कठिन है। ग्रंथकारचनाकालः नन्दीसूत्र और पाक्षिक सूत्र में आगामों का जो वर्गीकरण किया गया है, उसमें संस्तारक प्रकीर्णक का कहीं कोई उल्लेख नहीं हुआ है। तत्वार्थभाष्य और दिगम्बर परंपरा की सर्वार्थसिद्धि टीका में भी संस्तारक प्रकीर्णक का कोई उल्लेख नहीं हुआ है। इसी प्रकार यापनीय परंपरा के ग्रंथों में भी कहीं भी संस्तारक प्रकीर्णक का उल्लेख उपलब्ध नहीं होता है। इससे यही फलित होता है कि पाँचवीं-छठीं शताब्दी से पूर्व इस ग्रंथ का कोई अस्तित्व नहीं था। संस्तारक प्रकीर्णक का सर्वप्रथम उल्लेख हमें विधिमार्गप्रपा (जिनप्रभ, ईसा की 13-14वींशती) 45. (क) देविंदत्थओ-पइण्णयसुत्ताई, भाग 1, गाथा 310 (ख) जोइसकरंडगंपइण्णयं, वही, भाग 1, गाथा 405 46. (क) भत्तपरिन्नापइण्णयं, वही, भाग1,गाथा 172 (ख) कुसलानुबंधिअज्झयणं चउसरणपइण्णयं', वही, भाग 1 गाथा 63 (ग) सिरिवीरभद्दायरियविरइया 'आराहणापडाया', वही, भाग 2, गाथा 51 'आराहणविहिं पुणभत्तपरिण्णाइ वण्णिमीपुव्वं। उस्सण्णंसच्चेव उसेसाण विवण्णणाहोई॥ - वही, गाथा 51 47.
SR No.006192
Book TitlePrakrit Ke Prakirnak Sahitya Ki Bhumikaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarmal Jain
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2016
Total Pages398
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size26 MB
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