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रुद्दो उ मुहुत्ताणं आई छन्नवइअंगुलच्छाओ 1। सेओ उ हवइ सट्ठी 2 बारस मित्तो हवइ जुत्तो 3 ॥
छ च्चेव य आरभडो 4 सोमित्तो पंचअंगुलो होइ 5 । चत्तारि य वइरज्जो 6 दो च्चेव य सावसू होइ 7॥
परिमंडली मुहत्तो असीवि मज्झंतिते ठिए होइ 8। दो होइ रोहणो पुण 9 बलो य चउरंगुलो होइ 10॥
विजओ पंचंगुलिओ 11 छ च्चेव य नेरिओ हवइ जुत्तो 12। वरुणो य हवइ बारस 13 अज्जमदीवो हवइ सुट्ठो 14॥
छन्नउइअंगुलो पुण होइ भगो सूरअत्थमणवेले 15। एए दिवसमुहुत्ता, रत्तिमुहुत्ते अओ वुच्छ॥
हवई विवरीय धणो पमोयणो अज्जमा तहा सीणो। रक्खस पायावच्चा सामा बंभा बहस्सई या॥
विण्हु तहा पुण रित्तो रत्तिमुहुत्ता वियाहिया। दिवसमुहुत्तगईए छायामाणं मुणेयव्वं ॥
मित्ते नंदे तह सुट्ठिए य अभिई चंदे तहेव य। वरुणऽग्गिवेस ईसाणे आणंदे विजए इ य॥
एतेसु मुहुत्तजोएसु सेहनिक्खमणं करे। वओवट्ठावणाइंच अणुन्ना गणि-वायए॥
बंभे वलए वाउम्मि उसभे वरुणे तहा। अणसण पाउवगमणं उत्तिमट्टं च कारए॥
(गणिविद्या, गाथा 49-58)