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(5) (a) मिगसिरमद्दा पुस्सो, तिण्णि य पुव्वाइं मूलमस्सेसा। हत्थो चित्ता य तहा, दस विद्धिकराई णाणस्स॥
(स्थानांग सूत्र - मुनि मधुकर, पृ. 743)
(b) मिगसर अद्दा पुस्सो तिनि य पुव्वा य मूलमस्सेसा। हत्थोचित्तो य तहा दस बुढिकराइं नाणस्स॥
(समवायांगसूत्र - मुनि मधुकर, पृ. 27)
(c) कत्तिय 1 रोहिणि 2 मिगसिर 3 अद्दा 4 य पुणव्वसू 5 य पुस्से 6 य।
तत्तो य अस्सिलेसा 7 मघाओ 8 दो फग्गुणीओ य 9-10॥ हत्थो 11 चित्ता 12 सादी 13 (य) विसाहा 14 तह य होइ अणुराहा 15। जेट्ठा 16 मूलो 17 पुव्वासाढा 18 तह उत्तरा 19 चेव॥ अभिई 20 सवण 21 धनिहा 22 सतभिसदा 23 दोयहोतिभदवया 24-25 रेवति 26 अस्सिणि 27 भरणी 28 एसा नक्खत्तपरिवाडी॥
(अनुयोगद्वार सूत्र-मुनि मधुकर, पृ. 213)
(d) अट्ठावीसं णक्खत्ता पण्णत्ता-तंजहा-अभिई, सवणो, धनिट्ठा,
सयभिसया, पुव्वभद्दवया, उत्तरभद्दवया, रेवई, अस्सिणी, भरणी, कत्तिआ, रोहिणी, मिअसिर, अद्दा, पुणव्वसू, पूसो, अस्सेसा, मघा, पुव्वफग्गुणी, उत्तरग्गुणी, हत्थो, चित्ता, साई, विसाहा, अणुराहा, जिट्ठा, मूलं, पुव्वासाढा, उत्तरसाढा इति।
(जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति-मुनि मधुकर, पृ. 360) (e) मिगसर अद्दा पुस्से तिन्नि य पुवाई मूलमस्सेसा। हत्थो चित्ता य तहा दस विद्धिकराइं नाणस्स॥
(विशेषावश्यकभाष्य, गाथा 3408)