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198 पुव्वेणहोति कूडा चत्तारिउ, दक्खिणे विचत्तारि। अवरेण विचत्तारिउ, उत्तरआहोति चत्तारि॥
(द्वीपसागरप्रज्ञप्ति, गाथा 76)
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वइरपभ 1 वइसारे 2 कणगे 3 कणगुत्तमे 4 इय। रत्तप्पभे 5 रत्तभाऊ6 सुप्पभे 7 यमहप्पमे 8॥ मणिप्पभे9 यमणिहिये 10 रुयगे 11 एगवंडिसए 121 फलिहे 13 यमहाफलिहे 14 हिमवं 15 मंदिरे 16 इय॥
(द्वीपसागरप्रज्ञप्ति, गाथा 77-78)
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एएसिं कूडाणं उस्सेहीपंचजोयणसयाइं 500। पंचेवजोयणसए 500 मूलम्मिउ वित्थडाकूडा॥ तिन्नेव जोयणसए पन्नत्तरि 375 जोयणाईमज्झम्मि। अड्ढाइज्जे यसए 250 सिहरतले वित्थडा कूडा॥
___ (द्वीपसागरप्रज्ञप्ति, गाथा 79-80) _रुयगवरस्सयमझे णगुत्तमो होइपव्वओरुयगो। पगारसरिसरूवोरूयगंदीवं विंभयमाणो॥
(द्वीपसागरप्रज्ञप्ति, गाथा 112)
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