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सेसभा उ मज्झेहवंति मणिपेढिया परमरम्म । तत्थाऽऽसणा महरिहा, उववायसभाए सयणिज्जं ॥
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( द्वीपसागरप्रज्ञप्ति, गाथा 201 )
मुहमंडव पेच्छाहर हरओ दारा य सह पमाणा । थूभाउ अट्ठ उभवे दारस्स उमंडवाणं तु ॥ उव्विद्धा वीसं, उग्गया य वित्थिण्ण जोयणऽद्धं तु । माणवग महिंदझया हवंति इंदज्झया चेव ॥
( द्वीपसागरप्रज्ञप्ति, गाथा 202-203)