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________________ 127 (32) (34) (ii) उड्ढमधो तिरियमिदु कदाणि बालमरणाणि बहुगाणि। दंसणनाणसहगदो पंडियमरणं अणुमरिस्से। (मूलाचार, गाथा 75) (30) माया पियाण्हुसाभाया भज्जापुत्तायओरसा नालं ते ममताणाय लुप्पन्तस्ससकम्मुणा॥ (उत्तराध्ययन सूत्र, गाथा 6/3)' (31) एक्को करेइ कम्मएक्को हिंडदिदीहसंसारे। एक्को जायदि मरदिय एवं चिंतेहिएयत्तं॥ (मूलाचार, गाथा 701) उव्वेयमरणंजादीमरणं णिरएसुवेदणाओय। एदाणिसंभरंतो पंडियमरणं अणुमरिस्से॥ ___ (मूलाचार, गाथा 76) एगपंडियमरणं छिंदइजाईसयाणिबहुगाणि। तं मरणं मरिदव्वंजेणसदंसुम्मदं होदि॥ (मूलाचार, गाथा 117) संसारचक्कवालमिम्ममए सव्वेविपुग्गलाबहुसो। आहारिदायपरिणामिदायणयमे गदा त्तित्ती॥ (मूलाचार, गाथा 79) (35) आहारणिमित्तं किरमच्छागच्छंतिसत्तमं पुढविं। सच्चित्तोआहारोणकप्पदिमणसाविपत्थेदं॥ (मूलाचार, गाथा 82) (36) (i) तण-कठेहिवअग्गीलवणजलोवानईसहस्सेहिं। नइमोजीवोसक्को तिप्पेउं काम-भोगेहिं॥ (आतुरप्रत्याख्यान, गाथा 51) (ii) तिणकट्टेणवअग्गी लवणसमुद्दोणदीसहस्सेहि। ण इमोजीवो सक्को तिप्पेढुंकामभोगेहिं॥ . (मूलाचार, गाथा 80) (37) हंतूण रागदोसे छेत्तूणयअट्ठकम्मसंखलियं। जम्मणमरणरहट भेत्तूणभवाहि मुच्चिहसि॥ (मूलाचार, गाथा 90) 1-2. यहाँ शब्दरूप में कुछभिन्नता होते हुएभीभागवत समानता है।
SR No.006192
Book TitlePrakrit Ke Prakirnak Sahitya Ki Bhumikaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarmal Jain
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2016
Total Pages398
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size26 MB
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