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(11) (i) मूलगुण उत्तरगुणे जे मे नाऽऽराहिया पमाएणं। तमहं सव्वं निंदे पडिक्कमे आगमिस्साणं॥
(आतुरप्रत्याख्यान, गाथा 29) (ii) मूलगुणउत्तरगुणे जो मेणाराहिओपमाएण। तमहं सव्वं णिंदे पडिक्कमे आगममिस्साणं॥
(मूलाचार, गाथा 50) (12) (i) एक्कोहनत्थिमे कोई, नत्थिवा कस्सई अहं। नतंपेक्खामि जस्साह, नतंपेक्खामिजो महं॥
(चन्द्रवेध्यक, गाथा 161) (ii) एगोनत्थिमे कोई, नयाऽहमविकस्सई। वरंधम्मो जिणक्खाओ एत्थंमज्झ बिइज्जओ॥
(आराधनाप्रकरण, गाथा 64) (13) (i) एगो यमरदिजीवो एगो यजीवदि सयं। एगस्स जादि मरझंएगो सिज्झदिणीरओ।
(नियमसार, गाथा 101) एओयमरइजीवो एओय उववज्जइ। एयस्स जाइमरणं एओ सिज्झइणीरओ॥
(मूलाचार, गाथा 47) (14) एक्को करेइ कम्मं एक्को हिंडदियदीहसंसारे। एक्को जायदि मरदिय एवं चिंतेहिएयत्तं॥
(मूलाचार, गाथा 701) (15) () एगो में सासओ अप्पा नाणदंसणसंजुओ। सेसा मे बाहिराभावासव्वे संजोगलक्खणा
(चन्द्रवेध्यक, गाथा 160) (आतुरप्रत्याख्यान, गाथा 27)
(आराधनाप्रकरण,गाथा 67)
(आतुरप्रत्याख्यान (1),गाथा 29) (ii) एगो मे सासदोअप्पाणाणदसणलक्खणो। सेसा में बाहिराभावासव्वे संजोगलक्खणा॥
(नियमसार, गाथा 102) (iii) एओमे सस्सओअप्पाणाणसणलक्खणो। सेसा में बाहिराभावासव्वे संजोगलक्खणा।।
(मूलाचार, गाथा 48)