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________________ 110 महाप्रत्याख्यान गाथा क्रमांक मरण विभक्तिगाथा क्रमांक 75 266 76 265 267 268 269 270 271 272 273 274 275 276° 277 278 279 280 281 92 282 93 284 95 285 287' 1. यहाँप्रथमदोचरण में आंशिकरूपसे शब्दिक भिन्नता है। 2. यहाँ खुहिउमारद्धं' के स्थान पर धणियमाइद्धं' शब्द प्रयुक्त हुआ है। 3. यहाँ पब्भार-कंदरगया के स्थान पर 'गिरिकुहर-कंदरगया' शब्द प्रयुक्त हुआ है। 4-5. यहाँ शब्दरूप में आंशिक भिन्नता होते हुए भीभागवत समानता है। 6. यहाँ विसयसुहसमुइओ अप्पा' शब्दों के स्थान पर विसयसुहपराइओजीवो' शब्द प्रयुक्त हुए हैं, किन्तुभावगत समानता है। यहाँ मइपुव्वं' के स्थान पर सुहभावो' शब्द प्रयुक्त हुआहै। यहाँ आराहणा' के स्थान पर आलोयणा' शब्द प्रयुक्त हुआ है। यहाँ मणोजस्स' के स्थान पर मरंतस्स' शब्द प्रयुक्त हुआ है।
SR No.006192
Book TitlePrakrit Ke Prakirnak Sahitya Ki Bhumikaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarmal Jain
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2016
Total Pages398
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size26 MB
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