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નવ પ્રકારના પુન્ય :(૧) અન્ન દાન
श जीव
पू आश्रव
(२) पाएशी छान (૫) સારાવિચારોનું દાન
(४) शय्या छान (६) वस्ती (४ग्या) धान (७) शुभ सायरा छान (८) सारा वयनोनुं छान (८) नमस्डार जोसवाथी
नवतत्त्वकी होडी और समुद्रके दृष्टांत से बोध - समझुती जीव-सरोवरका दृष्टांत
संपूर्ण कर्मदाय
। निर्जरा
अनुकूल
पानी निकालना
देशसे
NA
विभाग-७
पथ
निर्भश
CONTACT
जीव कर्मप्रवेश कर्म संबंध कीरनीर
न्याये बं
सताकार्म
मोक्ष
अजीव
कर्मक्षय
NRAO
૨૦
पाप
अशुभकर्म
(3) वस्त्र छान
८ बंध
कर्मरूप
3 अजीव
पाप
हा संवर
सकल कर्मक्षय
लोहा अग्नि
होय: जीय प्रत्ये मथाभाव करना, रक्षा करना, अभीव प्रत्ये निर्मभ भाव रखना । • देवा: तुझ्याथी पाव-आश्रय बंधू प्रत्ये अरुचि करना और उत्तरोतर त्याग करना। उपोदयः पुष्य-संवर- निजरी और मोक्ष प्रात आवर- साथ और उत्साहमे पुरुषार्थ भरे।