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के लिए आज जो सुविधा है, वह इनमें भाषिक एकरूपता लाने पर समाप्त हो जायेगी। आज नमस्कार मंत्र में 'नमो' और 'णमो' शब्द का जो विवाद है, उसका समाधान और कौन शब्दरूप प्राचीन है, इसका निश्चय हम खारवेल और मथुरा के अभिलेखों के आधार पर कर सकते हैं और कह सकते हैं कि अर्धमागधी का 'नमो' रूप प्राचीन है, जबकि शौरसेनी और महाराष्ट्र का 'णमो' रूप परवर्ती है, क्योंकि ई. की दूसरी शती तक अभिलेखों में कहीं भी 'णमो' रूप नहीं मिलता, जबकि छठवीं शती से दक्षिण भारत के जैन अभिलेखों में ‘णमो’ रूप बहुतायत से मिलता है। इससे फलित निकलता है कि ‘णमो ́ रूप परवर्ती है और जिन ग्रन्थों में 'न' के स्थान पर 'ण' की बहुलता है, वे ग्रन्थ भी परवर्ती हैं। यह सत्य है कि 'नमो' से परिवर्तित होकर ही 'णमो' रूप बना है। जिन अभिलेखों में ‘णमो’ रूप मिलता है, वे सभी ई.सन् की चौथी शती के बाद के ही हैं। इसी प्रकार से, नमस्कार मंत्र की अंतिमगाथा में-- एसो पंच नमुक्कारो सव्वपावप्पणासणो । मंगलाणं च सव्वेसि पढ़मं हवइ मंगलं - - ऐसा पाठ है। इनमें प्रयुक्त प्रथमा विभक्ति में ‘एकार' के स्थान पर ‘ओकार' का प्रयोग तथा 'हवति' के स्थान पर 'हवइ' शब्दरूप का प्रयोग यह बताता है कि इसकी रचना अर्धमागधी से महाराष्ट्री के संक्रमणकाल के बीच की है और यह अंश नमस्कार मंत्र में बाद में जोड़ा गया है। इसमें शौरसेनी रूप 'होदि' या 'हवदि' के स्थान पर महाराष्ट्री शब्दरूप 'हवई' है, जो यह बताता है कि यह अंश मूलतः महाराष्ट्री में निर्मित हुआ था और वहीं से ही शौरसेनी में लिया गया है।
इसी प्रकार, शौरसेनी आगमों में भी इसके 'हवई' शब्दरूप की उपस्थिति भी यही सूचित करती है कि उन्होंने इस अंश को परवर्ती महाराष्ट्री प्राकृत के ग्रन्थों से ही ग्रहण किया है, अन्यथा वहाँ मूल शौरसेनी का 'हवदि' या 'होदि' रूप ही होना था। आज यदि किसी को शौरसेनी का अधिक आग्रह हो, तो क्या वे नमस्कार मंत्र के इस 'हवई' शब्द को 'हवदि' या 'होदि' के रूप में परिवर्तित कर देंगे ? जबकि तीसरी-चौथी शती से आज तक कहीं भी 'हवइ' के अतिरिक्त अन्य कोई शब्दरूप उपलब्ध नहीं है।
प्राकृत के भाषिक स्वरूप के सम्बन्ध में दूसरी कठिनाई यह है कि प्राकृत का मूल आधार क्षेत्रीय बोलियाँ होने से उसके एक ही काल में विभिन्न रूप रहे हैं । प्राकृत व्याकरण में जो 'बहुलं' शब्द है, वह स्वयं इस बात का सूचक है कि चाहे शब्दरूप हो, चाहे धातु रूप हो या उपसर्ग आदि हो, उनकी बहुविधता को अस्वीकार नहीं किया जा सकता। एक