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________________ दण्डन की प्रणाली को समाप्त कर दिया था। यही कारण है कि अजित की यह दार्शनिक परम्परा बुद्ध की दार्शनिक परम्परा के प्रारंभ होने पर विलुप्त हो गई। बुद्ध के दर्शन ने अजित के अनित्यवादी आत्मसिद्धान्त को आत्मसात् कर लिया और उसकी नैतिक धारणा को परिष्कृत कर उसे ही एक नए रूप में प्रस्तुत कर दिया। अनित्य आत्मवाद के संबंध में जैनागम उत्तराध्ययन के 14 वें अध्ययन की 18वीं गाथा में भी विवेचन प्राप्त होता है, जहां यह बताया गया कि यह आत्मा शरीर में उसी प्रकार रहती है, जैसे-तिल में तेल, अरणी में अग्नि या दूध में घृत रहता है और इस शरीर नष्ट हो जाने के साथ ही वह नष्ट हो जाती है। औपनिषदिक साहित्य में कठोपनिषद् की प्रथम वल्ली के अध्याय 1 के 20 वें श्लोक में नचिकेता भी यह रहस्य जानना चाहता है कि आत्मनित्यतावाद और आत्मअनित्यतावाद में कौनसी धारणा सत्य है और कौनसी असत्य ? इस प्रकार, यह तो निर्भ्रान्त रूप से सत्य है कि महावीर के समकालीन विचारकों में आत्म-अनित्यतावाद को मानने वाले विचारक थे, लेकिन वह अनित्य आत्मवाद भौतिक आत्मवाद नहीं, वरन् दार्शनिक अनित्य आत्मवाद था। उनके मानने वाले विचारक आधुनिक सुखवादी विचारकों के समान भौतिक सुखवादी नहीं थे, वरन् वे आत्मशांति एवं आसक्ति नाश या तृष्णाक्षय के हेतु प्रयासशील थे। ऐसा प्रतीत होता है कि अजित का दर्शन और धर्म (नैतिकता) बौद्ध दर्शन एवं धर्म की पूर्वी कड़ी था । बौद्धों ने उसके दर्शन की जो आलोचना की थी अथवा उसके नैतिक निष्कर्ष प्रस्तुत किए थे, उसके अनुसार दुष्कृत एवं सुकृत कर्मों का विपाक नहीं, यही आलोचना पश्चात् काल में बौद्ध आत्मवाद को कृतपणाश एवं अकृत-कर्मभोग के दोष से युक्त समझकर हेमचंद्राचार्य ने प्रस्तुत की। अनित्य-आत्मवाद की धारणा नैतिक दृष्टि से उचित नहीं बैठती, क्योंकि उसके आधार पर कर्म-विपाक या कर्मफल के सिद्धान्त को नहीं समझाया जा सकता। समस्त शुभाशुभ कर्मों का प्रतिफल तत्काल प्राप्त नहीं होता, अतः कर्मफल की धारणा के लिए नित्य आत्मवाद की ओर आना होता है। दूसरे, अनित्य आत्मवाद की धारणा में पुण्य संचय, परोपकार, दान आदि के नैतिक आदर्शों का भी कोई अर्थ नहीं रहता ।
SR No.006187
Book TitleBhagwan Mahavir Ka Jivan Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarmal Jain
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2016
Total Pages178
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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