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________________ जगजयवंत जीरावला इतिहास के झरोखे में श्री जीरावला पार्श्वनाथ तीर्थ . जैन शास्त्रों में जीरावला पार्श्वनाथ प्रभु का जगह-जगह महत्व बतलाया गया है। इतिहास जानने से हमें पता लगेगा की जीरावला पार्श्वनाथ दादा वजीरावलाजी तीर्थ जैन धर्म का प्राण रहा है। आईए... नजर करते हैं... तीर्थ के इतिहास पर...करते हैं भावयात्रा... मंदिर अरावली पर्वतमाला की जीरापल्ली नाम की पहाड़ी की गोद में बसा हुआ है। यह बहुत ही प्राचीन मंदिर है। हरे-भरे जंगलों से घिरा हुआ यह मंदिर अपनी भव्यता के लिये प्रसिद्ध है। सदियों से यह आचार्यों और धर्मनिष्ठ व्यक्तियों का शरण स्थल रहा है। यह जैन धर्म का सांस्कृतिक और धार्मिक केन्द्र रहा है। इसके पाषाणों पर अंकित लेख इसकी प्राचीनता और गौरव की गाथा गा रहे हैं। हर वर्ष हजारों की संख्या में श्रद्धालु भक्तजन इस मंदिर के दर्शन करके प्रेरणा और शक्ति का अर्जन करते हैं। __आज भी प्रतिष्ठा, शान्तिस्नात्र आदि शुभ क्रियाओं के प्रारंभ में 'ॐ ह्रीं श्रीं श्री जीरावला पार्श्वनाथाय रक्षां कुरु कुरु स्वाहा।' पवित्र मन्त्राक्षर रूप इस तीर्थाधिपति का स्मरण किया जाता है। इस तीर्थ की महिमा इतनी प्रसिद्ध है कि मारवाड़ में घाणेराव, नाडलाई, कच्छ, नाडोल, सिरोही एवं मुंबई के घाटकोपर आदि स्थानों में जीरावला पार्श्वनाथ भगवान की स्थापना हुई है। __ जैन शास्त्रों में इस तीर्थ के कई नाम हैं, जैसे - जीरावल्ली, जीरापल्ली, जीरिकापल्ली एवं जयराजपल्ली पर इसका नाम करण हमारी मान्यतानुसार इसके पर्वत जयराज पर ही हुआ है। जयराज की उपत्यका में बसी नगरी जयराजपल्ली। श्री जिनभद्रसूरिजी के शिष्य सिद्धान्तरूचिजी ने श्री जयराजपुरीश श्री पार्श्वनाथ स्तवन की रचना की है। इसी जयराजपल्ली का अपभ्रंश रूप आज जीरावला नाम में दृष्टिगोचर हो रहा है। सिरोही शहर में 35 मील पश्चिम की दिशा में और भीनमाल से 30 मील दक्षिण पूर्व दिशा में जीरावला ग्राम में यह मंदिर स्थित है। यह मरु प्रदेश का अंग रहा है। प्राचीनकाल में जीरावला एक बहुत बड़ा और समृद्धशाली नगर था। सांस्कृतिक दृष्टि से भी यह नगर बहुत समृद्ध था। यह देश-परदेश के व्यापारियों के आकर्षण का केन्द्र रहा है और शूरवीरों की जन्म और कर्म भूमि रहा है। जीरावला 21
SR No.006176
Book TitleJiravala Parshwanath Tirth Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhushan Shah
PublisherMission Jainatva Jagaran
Publication Year2016
Total Pages64
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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