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श्री विजयपद्मसूरिविरचितः
चउसय चोइसपुवी
सिरिणेमिपहुस्स बंभयारिस्स ॥ इय० ॥ ७३ ॥ चउसय वरवाइगणो
सासणणायग जिणेसवीरस्स ॥ इय० ॥ ७४ ॥ चत्तारि महाकप्पा
हेडिल्ला अद्धचंद संठाणा ॥ इय० ॥ ७५ ॥ चत्तारि महाकप्पा
मज्झिल्ला पुण्णचंदसंठाणा ॥ इय० ॥७६॥ पुवरिल्ला चत्तारि
कप्पा णेया जहेव हेडिल्ला ॥ इय० ॥७॥ पत्तेयरसा उयही
चत्तारि चउप्पएसिया खंधा ॥ इय० ॥७८॥ पढमाए पुहवे ए,
चउपल्लाऊ पहूयनिरयाणं ॥ इय० ॥ ७९ ॥ बहुनिरयाणं तइए,
चउसागरजोवियं निरयवासे ॥ इय० ॥८॥ चउपल्लाउयदेवा
होज्ज पहूया इहाइकप्पदुगे ॥ इय० ॥८१॥ तइय चउत्थे सग्गे
चउसागरजीविया पहूयमुरा॥ इय० ॥८२॥