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समर्पण - पुष्प
परम श्रद्वेय - पञ्चाचार युक्त रत्नत्रय के संस्थापक समाधि- - सम्राट श्रमण संस्कृति के उन्नायक - युग प्रवर्तक धर्म प्राण - चारित्र चक्रवर्ती - महाकवि - वीतरागी सन्त शिरोमणि - महान दार्शनिक - तत्त्वानुवेषी दिगम्बराचार्य 108 श्री विद्यासागर जी महाराज के आज्ञानुवर्ती सुयोग्य शिष्य धर्म प्रभाकर- आदर्श चरित्र नायक जैन संस्कृति के रक्षक तपोमूर्त्ति
ओजस्वी वक्ता - प्रसन्न मूर्ति स्थिरोन्नत – स्वाधीनोदारसार प्रियवाचामायतन : साधुचरितनिकेतन
आध्यात्मिकसंत
लोकाशय मार्गतरु
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श्री श्री १०८ मुनि
श्री सुधासागरजी महाराज
के कर कमलों में
यह कृति सादर समर्पित
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पुष्प
'चरणचञ्चरीक डॉ. कैलाशपति पाण्डेय
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