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राज्य सरकार द्वारा जारी परिपत्र दिनांक 18/7/1997 बाबत अनूप मंडल
के विरुद्ध की गई एवं की जाने वाली कार्यवाही का विवरण
अनूप मण्डल की जैन विरोधी गतिविधियों पर राज्य सरकार का ध्यान आकर्षित करने व उन पर रोक लगाने के लिए एक प्रतिनिधिमण्डल संस्थान के अध्यक्ष न्यायाधीश श्री जसराज चौपड़ा के नेतृत्व में जयपुर जाकर 5 जुलाई 1997 को मुख्यमंत्री व उनके सहयोगी मंत्रियों व सचिवों से मिला। इस प्रतिनिधि मण्डल में संस्थान के आह्वान पर, जैन विधायकगण, प्रशासनिक अधिकारी, सभी जैन संघों के पदाधिकारी शामिल हुए।
राज्य सरकार ने प्रतिनिधि मण्डल को समुचित कार्यवाही करने का आश्वासन दिया व बाद में की गई कार्यवाही का एक परिपत्र जारी किया, जो निम्न प्रकार है :अनूप मण्डल के बारे में राज्य सरकार द्वारा की गई कार्यवाही
भारतीय संस्कृति समन्वय संस्थान, जोधपुर द्वारा अनूप मण्डल के अनुयायियों द्वारा जैन धर्मावलम्बियों के विरुद्ध दुष्प्रचार के सम्बन्ध में समय-समय पर दिये गये ज्ञापनों में निम्नांकित बिन्दु उठाये जाते रहे हैं। राज्य सरकार द्वारा बिन्दुवार की गई कार्यवाही की स्थिति इस प्रकार है। इस सम्बन्ध में अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) द्वारा उपमहानिरीक्षक पुलिस, जोधपुर से भी दूरभाष पर वार्ता कर आवश्यक निर्देश दिये गये तथा विशिष्ठ शासन सचिव, गृह विभाग द्वारा सिरोही, जालौर एवं पाली जिलों के पुलिस अधीक्षकों से अनूप मण्डल की गतिविधियों के बारे में विस्तृत बातचीत दूरभाष पर की जाकर आवश्यक कार्यवाही करने हेतु निर्देश दिये गये। 1. अनूप मण्डल द्वारा प्रकाशित साहित्य को जब्त करने के सम्बन्ध में : ,
- राज्य सरकार द्वारा 5.8.57 को अधिसूचना जारी कर अनूप मण्डल द्वारा प्रकाशित निम्नलिखित पुस्तकें प्रतिबंधित करने के आदेश दिये गये। तत्पश्चात् 20.11.57 को इन पुस्तकों के किसी भाग को प्रकाशित करने, पुनः मुद्रित करने पर भी रोक लगाई गई :
1. जगत हितकारणी 2. न्याय चिन्तामणि 3. किताब मुफीद आम मोसुमव
आत्म पुराण अनूप स्वामीजी की आरती
दुखियों की पुकार जालोर, सिरोही एवं पाली के पुलिस अधीक्षकों का राज्य सरकार की उक्त दोनों अधिसूचनाओं कीर प्रतियां दिनांक 28.5.97 को प्रेषित कर प्रतिबंधित साहित्य को जप्त करने के निर्देश दिये गये एवं
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