________________
२५. उपसंहार
पूर्ववर्ती पृष्ठों में पन्द्रहवीं, सोलहवीं तथा सतरहवीं शताब्दी के २२ जैन संस्कृत-महाकाव्यों का सर्वांगीण पर्यालोचन किया गया है । आलोच्य युग के महाकाव्य संस्कृत-महाकाव्य-परम्परा की अन्तिम कड़ी है । प्रबन्ध के प्रासंगिक भागों से स्पष्ट है, विवेच्य शताब्दियों में जैन-महाकाव्य-रचना की प्रक्रिया वेगवती रही है। पन्द्रहवीं शताब्दी में ही इतने महाकाव्य लिखे गये कि गुण और संख्या में वे अन्य दो आलोच्य शतियों के महाकाव्यों के समकक्ष हैं। सतरहवीं शताब्दी के बाद जैनसाहित्य में संस्कृत-महाकाव्य की परम्परा विच्छिन्न हो जाती है।
विवे व्य युग में सभी प्रकार के महाकाव्यों का प्रणयन हुआ है । अन्य शैलियों के महाकाव्यों के अतिरिक्त साहित्य को शास्त्रकाव्य प्रदान करने का गौरव भी प्रस्तुत काल को प्राप्त है । देवानन्द तथा सप्तसन्धान शुद्धतः शास्त्रकाव्य हैं। श्रीधरचरित छन्दों के प्रायोगिक उदाहरण प्रस्तुत करने के कारण शास्त्रकाव्य के बहुत निकट पहुँच जाता है । आलोच्य युग के जैन कवियों का कतिपय तीर्थंकरों, पुराणपुरुषों तथा पूर्वगामी जैनाचार्यों के प्रति विशेष पक्षपात रहा है। जिनेश्वरों में नेमिनाथ तथा पार्श्वनाथ का चरित प्रस्तुत युग के कुछ महाकाव्यों का आधार बना है। पार्श्वप्रभु के इतिवृत्त पर दो महाकाव्य लिखे गये हैं। यशोधर, जम्बूस्वामी तथा प्रद्युम्न इन पुराण-पुरुषों के चरितों में अनुस्यूत कर्मवाद की अपरिहार्यता ने जैन कवियों को अधिक आकर्षित किया है। इन तीनों के चरित पर आलोच्य काल में एक-एक महाकाव्य की रचना हुई है, जो इन कथाओं की लोकप्रियता का प्रमाण है। तपागच्छ के आचार्यों, विशेषतः हीरविजय तथा उनकी पट्ट-परम्परा में विजयसेन सूरि, विजयदेवसूरि तथा विजयप्रभसूरि की आध्यात्मिक तथा धार्मिक उपलब्धियों ने जैन कवियों को इतना प्रभावित किया कि आलोच्य युग में उन से सम्बन्धित कई उल्लेखनीय काव्यों की रचना हुई है। हीरविजयसूरि के इतिवृत्त पर आधारित हीरसौभाग्य संस्कृत के जैनाजैन काव्यों में प्रतिष्ठित पद पर आसीन है। विजयसेन तथा विजयदेवसूरि के जीवनवृत्त पर रचित महाकाव्यों-विजयप्रशस्ति, तथा देवानन्दमहाकाव्य-में भी, पूर्व पीठिका के रूप में, हीरसूरि का निरूपण हुआ है। सोमसौभाग्य तथा सुमतिसम्भव का विषय भी तपागच्छ के अनुवर्ती साधुओं की धर्मचर्या है। आलोच्य काल के कवियों पर तपागच्छीय आचार्यों का यह एकाधिकार उनकी धर्म-प्रभावना तथा चारित्रिक निर्मलता का सूचक है।