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________________ बंकचूलचरियं १२. जल और हरियाली पर जाने से जीवों की हिंसा होती है अत: मुनिगण उनके ऊपर से कभी नहीं जाते । २८ १३. जिस सार्थ के साथ वे मार्ग में जा रहे थे, संयोग से अचानक उसका भी संग छूट गया । १४. मार्ग दर्शन (रास्ता दिखाने) में उसका अपूर्व सहयोग था । क्योंकि मार्गद्रष्टा के अभाव में यात्रा दुःखप्रद हो जाती है । १५. सब स्थिति को देखकर समयज्ञ आचार्य ने तत्काल यह निर्णय किया कि आगे जाना ठीक नहीं है । १६. समीपवर्ती गांव में पावस योग्य स्थान देखना चाहिए। स्थान प्राप्त होने पर वहीं पावस करना चाहिए । १७. पावसार्थ स्थान ढूंढने के लिए आचार्य उस पल्ली में गए जहां बंकचूल रहता था । T १८. उन्होंने पल्लीवासियों से पावस के लिए स्थान की याचना की । उनके वचन सुनकर एक व्यक्ति ने कहा १९. आप हमारे स्वामी के पास जाए वह ही आपको यहां स्थान दे सकता है। २०. उसके वचन सुनकर आचार्य चन्द्रयश स्थान की याचना करने के लिए बंकचूल के पास आए । २१. किसी साधु को अपने घर में देखकर बंकचूल ने नमस्कार कर पूछाआप यहां कैसे आए हैं ? २२. समस्त बात सुनाकर विचक्षण आचार्य ने उससे पावस- योग्य स्थान की याचना की । २३. उनकी बात सुनकर बंकचूल ने कहा- यह समस्त स्थान आपका ही है । आप सुखपूर्वक पावस करें ।
SR No.006164
Book TitlePaia Pacchuso
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVimalmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1996
Total Pages172
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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