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पएसीचरियं
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१३. शुद्ध भावों से दीक्षा का पालन कर अंत में वह विशिष्ट ज्ञान-केवल ज्ञान और केवल दर्शन को प्राप्त करेगा। वह लोक को हाथ की रेखा की तरह देखेगा।
१४. जीवों को भवार्णव से पार करता हुआ वह अनेक वर्षों तक संसार में विहरण करेगा। अंत में अनशन कर वह मोक्ष को प्राप्त करेगा।
चतुर्थ सर्ग समाप्त विमलमुनिविरचित पद्यप्रबंधप्रदेशीचरित्र समाप्त