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विहित है, इसलिए आप आनाकानी न करें। मेरे पिता मेरा विवाह आपके साथ कभी नहीं करेंगे।'
बेचारी लक्ष्मीवती !
उसे यह बात ज्ञात नहीं थी कि जिस छवि को देखकर वह मुग्ध हुई है, भीमकुमार वैसा नहीं है। यह तो केवल एक चालाकी है, जो राजाओं की राजनीति में विहित है । जैसा चित्रांकन में अंकित है, भीमकुमार वैसा नहीं है। भीमकुमार की वास्तविक छवि ऐसी है कि उसे कोई भी नारी पसन्द कर नहीं सकती।
भीमकुमार ने भी संदेश भेज दिया कि अमुक दिन वह वेश-परिवर्तन कर वहां आएगा और उसका अपहरण करेगा।
पूरी योजना व्यवस्थित हो चुकी थी ।
यह योजना आज मध्यरात्रि के समय पूरी होने वाली थी। आज भीमकुमार गुप्त वेश में राजकुमारी के शयन-खंड में जाने वाला था। उसने राजकन्या के शयनकक्ष के गवाक्ष में एक दीपक जलाने का भी संकेत दे दिया था।
और रत्नपेटिका को लेने के लिए आए हुए वीर विक्रम को श्याम के द्वारा यह सारी जानकारी मिल चुकी थी। विक्रम को केवल रत्नपेटिका में ही रस था। लक्ष्मीवती को प्राप्त करने में तनिक भी रस नहीं था। इसलिए ब्यालू कर उन्होंने कुछ विश्राम किया, फिर अदृश्य गुटिका को मुंह में रखा और वे अदृश्य हो गए। अदृश्य होकर वे भीमकुमार की कुटीर में यह जानने के लिए चले गए कि वह कब और कैसे जाएगा।
वीर विक्रम अदृश्य थे । भीमकुमार को उनकी उपस्थिति का कुछ पता नहीं चला । विक्रम ने भीमकुमार की ओर देखा और उसके कुरूप रूप को देखकर कांप उठे। उन्होंने सोचा - 'अरे! राजकन्या ने इसको कैसे पसन्द किया होगा ? इससे तो वनवासी भील जवान भी अच्छे होते हैं। निश्चित ही इसके चित्रांकन में कुछ हेर-फेर हुआ है । '
भीमकुमार ने मदिरा का पात्र खाली कर श्याम के आगे रखते हुए कहा'अभी तक तृप्ति नहीं हुई है । '
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श्याम बोला-‘महाराज! आपने बहुत अधिक मदिरापान कर लिया है ...... अभी तक आपने कोई तैयारी नहीं की है..... एकाध प्रहर के पश्चात् हमें यहां से प्रस्थान कर देना हैं'
'तू पात्र भर...मेरे में मदिरा पचाने की पूरी शक्ति है.... और तैयारी क्या करनी है ? तूने ऊंट तैयार किया या नहीं ?
२५० वीर विक्रमादित्य