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वीरोदय का स्वरूप
पंच य मासा पंच य, वासा छच्चेव होंति वाससया । परिनिव्वुअस्सऽरहितो तो उप्पन्नो सर्ग राया । ।'
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527 ई. पू. है ।
उपर्युक्त तथ्यों की पुष्टि 'तिलोयपण्णत्ती', तिलोयसार, धवलटीका' और हरिवंशपुराण से भी होती है।' इन ग्रन्थों में बताया गया है कि निर्वाण के 605 वर्ष 5 माह बीतने पर शक राजा हुआ । इस आधार पर महावीर निर्वाण 605 वर्ष, 5 माह 78 वर्ष णिव्वाणे वीरजिणे छव्वास सदेसु पंच - वरिसेसुं । पणमासेसु गदेसुं संजादो सगणिओ अहवा | | 2 पणछस्सयवस्सं पणमासजुदं गमिय वीरणिव्वुइदो । सगराजो तो कक्की चदुणवतियमहिय सगमासं । । पंच य मासा पंच य वासा छच्चेव होंति वाससया । सगकाले ण य सहिया थावेयव्वो तदो रासी ।।" वर्षाणां षट्शतीं त्यक्त्वा पञ्चाग्रं मासपञ्चकम् । मुक्तिं गते महावीरे शकराजस्ततोऽभवत् । ।'
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डॉ वासुदेव उपाध्याय ने 'गुप्तसाम्राज्य का इतिहास' ग्रन्थ में गुप्त संवत् पर विचार करते समय जैनग्रन्थों का आधार स्वीकार किया है । उन्होंने लिखा है अलबेरूनी से पूर्व शताब्दियों में कुछ जैन ग्रन्थकारों के आधार पर यह ज्ञात होता है कि गुप्त तथा शक् काल में 241 वर्ष का अन्तर है। प्रथम लेखक जिनसेन, जो 8 वीं शताब्दी में वर्तमान थे, उन्होंने वर्णन किया है कि भगवान महावीर के निर्वाण के 605 वर्ष 5 माह के पश्चात् शक् राजा का जन्म हुआ ।
द्वितीय ग्रन्थकार गुणभद्र ने उत्तरपुराण में लिखा है कि महावीर निर्वाण के 1000 वर्ष बाद कल्किराज का जन्म हुआ । 'नेमिचन्द्र' ने त्रिलोक सार में लिखा है शकराज महावीर निर्वाण के 605 वर्ष 5 मास के बाद तथा शक्काल के 394 वर्ष 7 माह के पश्चात् कल्किराज पैदा हुआ । इनके योग से 1000 वर्ष होते हैं ।