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________________ श्रद्धांजलि परामर्श के पूर्व सम्पादक एवं दर्शनशास्त्र विभाग, पुणे विश्वविद्यालय के संस्थापकों में से एक प्रो. मोरेश्वर प्रभाकर मराठे का निधन २२ जून २०१५ को ७६ वर्ष की आयु में हो गया। उन्होंने १९७१ से १९९९ तक विभाग में अध्यापन एवं प्रशासनिक कार्य किया। विभाग की स्थापना एवं निर्माण के प्रारम्भिक वर्षों । प्रो. मराठे ने अपनी विद्वता, शैक्षणिक व प्रशासनिक कुशलता से विभाग के विकास में बहुमूल्य योगदान दिया। वह एक समर्पित शिक्षक, गंभीर संशोधक एवं एक कर्मठ प्रशासक थे। प्राचीन भारतीय दर्शन की परम्परा को संरक्षित व जीवित रखने में उन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन समर्पित कर दिया। उन्होंने भारतीय व पाश्चात्य दर्शन ोनों परम्पराओं का अध्ययन एवं अध्यापन किया। ज्ञानमीमांसा और तर्कशास्त्र पर उनके व्याख्यानों को उनके विद्यार्थी आज भी स्मरण करते हैं। विद्यार्थियों की शैक्षणिक ही नहीं बल्कि दैनिक, व्यवहारिक समस्याओं के निदान के लिये तत्पर रहना उनके स्वभाव में था। प्रो. मराठे की लिखित एवं सम्पादित अनेक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। साथ ही राष्ट्रीय-अन्तर्राष्ट्रीय पत्रिकाओं में भी उनके लेख प्रकाशित हये हैं। प्रो. मराठे इंडियन फिलॉसॉफिकल क्वार्टी (आई. पी. क्यू.) और परामर्श (हिन्दी) के सम्पादक भी रहें। दर्शन में उनके योगदान के लिये उन्हें अखिल भारतीय दर्शन परिष्द द्वारा 'स्वामी प्रणवानन्द लाईफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित भी किया गय ।। प्रो. मराठे ने दर्शन का मात्र शिक्षण ही नहीं किया वरन् उसे जिया भी। अपनी वसीयत में उन्होंने अपना शरीर एक मेडिकल कॉलेज को और अपना सारा धन सामाजिक संस्थाओं को समाज के कल्याण हेतु दान कर दिया। ऐसे कर्मठ व सत्यनिष्ठ आचार्य को हमारी श्रद्धांजलि !
SR No.006157
Book TitleParamarsh Jain Darshan Visheshank
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherSavitribai Fule Pune Vishva Vidyalay
Publication Year2015
Total Pages172
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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