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324 :: मूकमाटी-मीमांसा द्रवीभूत कर दो।
"आस्था कहाँ है समाजवाद में तुम्हारी ?
सबसे आगे मैं/समाज बाद में!" (पृ. ४६१) पहला 'समाजवाद' बद्ध संक्रमण की प्रक्रिया तथा दूसरा 'समाज बाद' शब्द मुक्त संक्रमण की प्रक्रिया से सम्बद्ध है।
रचनाकार ने 'मूकमाटी' महाकाव्य में शब्दों की विलोम प्रक्रिया द्वारा भी नवीन अर्थों को जन्म दिया है । शब्दों की यह विलोमता शब्दों में प्रयुक्त ध्वनियों के प्रयोग-स्थान के परिवर्तन से सम्बद्ध है । इसका सम्बन्ध विलोमार्थता से नहीं है। रचनाकार ने सामान्य सामाजिक जीवन तथा प्रकृति से शब्दों का चयन करके रचनास्तर पर उनकी विलोमता द्वारा अभिनव अर्थों की सृष्टि की है। शब्दों के सन्दर्भ-परिवर्तन द्वारा आर्थी-प्रक्रिया प्रशस्त होती है परन्तु यहाँ शब्दों की विलोमता द्वारा शब्द का प्रयोग-क्षेत्र ही नहीं बदला है अपितु उसमें नया अर्थ भी विन्यस्त हुआ है । सम्पूर्ण रचना में विलोमता की प्रक्रिया के अनेक उदाहरण विद्यमान हैं। कुछ प्रमुख शब्द-प्रयोगों द्वारा विलोमता की प्रक्रिया को भी स्पष्ट किया है।
" 'कुं' यानी धरती/और/'भ' यानी भाग्य-/यहाँ पर जो
भाग्यवान् भाग्य-विधाता हो/कुम्भकार कहलाता है।” (पृ. २८) रचनाकार ने उक्त छन्द में कुम्भकार को धरती या मिट्टी के भाग्य का निर्माता या विधाता माना है । यह नई व्युत्पत्ति है। सामान्यत: कुम्भ के घड़ा, जल, मोड़, हस्त, टेढ़ा आदि अर्थ हैं।
" 'गद' का अर्थ है रोग/'हा' का अर्थ है हारक मैं सबके रोगों का हन्ता बनूं/"बस,
और कुछ वांछा नहीं/गद-हा'"गदहा!" (पृ. ४०) 'गधा' शब्द सघोषता तथा महाप्राणता के सहप्रयोग द्वारा 'गदहा' रूप में व्युत्पन्न हुआ। 'गधा' का सामान्य रूप से 'मूर्ख' अर्थ में प्रयोग होता है। किन्तु यहाँ पर गदहा का 'वैद्य' अर्थ अभिनव है।
___"राही बनना ही तो/हीरा बनना है,/स्वयं राही शब्द ही
विलोम-रूप से कह रहा है-/रा"ही"ही"रा।" (पृ. ५७) 'राह' बनने का अर्थ हुआ आदर्श या मानक सिद्धान्त । और 'राही' का अर्थ हुआ इन सिद्धान्तों का प्रयोक्ता । आदर्श मूल्यों तथा मान्यताओं का प्रयोक्ता ही 'हीरा' है । यह अभिनव अर्थबोधक प्रयोग है।
"राख बने बिना/खरा-दर्शन कहाँ?/रा"ख"ख"रा ।" (पृ. ५७) रचनाकार ने अवा में प्रयुक्त लकड़ियों की राख को, जिसने कच्ची मिट्टी के घड़े को पूजायोग्य कलश बनाया है, खरा (शुद्ध) माना है । यह अभिनव अर्थबोधक शब्द है।
___ “लाभ शब्द ही स्वयं/विलोम रूप से कह रहा है
ला"म"भ"ला।" (पृ. ८७) 'लाभ' शब्द 'लम्' धातु से बना है । लाभ का अर्थ है प्राप्त होना । जो वस्तु परिश्रम से प्राप्त हो, उससे सुख मिलता