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536 :: मूकमाटी-मीमांसा
छ. पावन प्रवचन धर्म : आत्म - उत्थान का विज्ञान, अन्तिम तीर्थंकर भगवान महावीर, परम पुरुष -
भगवान हनुमान (कुल ३ प्रवचन) ।
. प्रवचन प्रमेय - ( कुल १० प्रवचन ) ।
झ. प्रवचनिका - प्रारम्भ, श्रेष्ठ संस्कार, जन्म-मरण से परे, समत्व की साधना, धर्म देशना, निष्ठा से प्रतिष्ठा । (कुल ६ प्रवचन)। पृष्ठ ६+६१८ ।
समग्र : आचार्य विद्यासागर ( ४ खण्ड) : प्रकाशन सम्प्रेरक- मुनि श्री क्षमासागरजी महाराज ससंघ, प्रकाशक-समग्र प्रकाशन, सन्तोषकुमार जयकुमार जैन बैटरी वाले, कटरा बाजार, सागर ४७०००२, मध्यप्रदेश, फोन - (०७५८२) २४४४७५, २४३७५५, मो. ९४२५८- ९०९२१९, प्रथम संस्करण - १९९६, मूल्य - ३०० रुपए ।
महाकवि आचार्य विद्यासागर ग्रन्थावली (४ खण्ड) : (चारों खण्डों का परिचयात्मक विवरण उपर्युक्तवत्) प्रकाशन सम्प्रेरक- मुनि श्री सुधासागरजी महाराज ससंघ, प्रकाशक- आचार्य ज्ञानसागर वागर्थ विमर्श केन्द्र, सेठजी की नसिया, ब्यावर - ३०५९०१, अजमेर, राजस्थान एवं श्री दिगम्बर जैन मन्दिर संघीजी, सांगानेर३०३ ९०२, जयपुर, राजस्थान, फोन - (०१४१) २७३०३९०, २७३०५५२, ५१७७३००, प्रथम संस्करण - १९९६, प्रथम खण्ड-पृष्ठ- ३२+५२८, मूल्य ८५ रुपए, द्वितीय खण्ड - ३२+६८२, मूल्य - १०० रुपए, तृतीय खण्ड-३२+४८८, मूल्य-८५ रुपए, चतुर्थ खण्ड - ३२ + ६१८, मूल्य - १०० रुपए ।
विश्वोदय ('सागर बूँद समाय' का लघुरूप सूक्ति संकलन ), सम्पादिका सुश्री प्रीति जैन, प्राप्तिस्थानप्रकाशचन्द्र दीपचन्द्र जैन लुहाड़िया, राधाकिशनपुरा वाले, १ क- २३, हाउसिंग बोर्ड, शास्त्री नगर, जयपुर, राजस्थान, प्रथमावृत्ति - १९९६, पृष्ठ-६+३४।
कौन कहाँ तक साथ देगा ( प्रवचन संग्रहों में से चयनित १०१ दृष्टान्त संग्रह), संकलक-जयकुमार जैन, हिसार, प्रकाशक-वीर विद्या संघ - गुजरात, शान्तिनाथ दिगम्बर जैन मन्दिर, साबरमती, अहमदाबाद, गुजरात, प्रथमावृत्ति - १९९६, पृष्ठ- ८+१२०, मूल्य १२ रुपए ।
पावन शिल्पी (आचार्य विद्यासागरजी का व्यक्तित्व एवं कृतियों का संकलन), प्रकाशन सम्प्रेरक- आर्यिका श्री दृढ़मतीजी ससंघ, प्रकाशक - त्रिलोकचन्द पवनकुमार जैन, बड़तला यादगार, सहारनपुर - २४७००१, उत्तरप्रदेश, प्रथमावृत्ति-१९९६, पृष्ठ-९२ ।
प्रवचनिका (सागर, मध्यप्रदेश में १९९३ में सम्पन्न पंचकल्याणक एवं गजरथ महोत्सव के प्रसंग पर प्रदत्त प्रवचन संग्रह), प्रकाशक- श्री मुनिसंघ स्वागत समिति, सन्तोषकुमार जयकुमार जैन बैटरीवाले, कटरा बाजार, सागर-४७० ००२, मध्यप्रदेश, प्रथमावृत्ति - १९९६, पृष्ठ-२६ ।
स्वरूप सम्बोधन - आचार्य अकलंकदेव कृत 'स्वरूप- सम्बोधनम्' (संस्कृत) का २५ हिन्दी पद्यों में भावानुवाद । १९९६, अप्रकाशित ।
शब्द - शब्द विद्या का सागर ('नर्मदा का नरम कंकर', 'डूबो मत लगाओ डुबकी', 'तोता क्यों रोता ?' संग्रहों का समन्वित प्रकाशन), प्रकाशन सम्प्रेरक- आर्यिका श्री दृढमतीजी ससंघ, प्रकाशक- विजयकुमार जैन, लक्ष्मी प्रिसिजन स्क्रूज लिमिटेड, हिसार रोड, रोहतक- १२४००१, हरियाणा, फोन - (०१२६२)२४२५२४, २४२५२० (नि.), २४८०९८, २४८७९०, मो. ९८१०१-७२०७९, द्वितीयावृत्ति - १९९६, पृष्ठ- ४+२९० । हाइकू कविताएँ - श्री विघ्नहर पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र महुआ, सूरत, गुजरात में १९९६ से पानी कविता शैली में हाइकू लेखन प्रारम्भ होकर अभी तक तीन सौ से भी अधिक हाइकू आलेखित ।
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