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________________ २९. ३०. ३१. ३२. ३३. ३४. ३५. १. २. ३. मूकमाटी-मीमांसा :: 531 माहेश्वरी मार्ग, एम. पी. नगर, भोपाल, मध्यप्रदेश | इन्डिया टुडे (साप्ताहिक, हिन्दी - २७ नवम्बर, २००२, अँग्रेजी- २५-११-२००२), सम्पादक - लिविंग मीडिया इण्डिया लिमिटेड, एफ-१४/१५, कनॉट प्लेस, नई दिल्ली- ११०००१, फोन - (०११) २३३१५८०१ से ८०४ मानतुंग पुष्प (साप्ताहिक, २५ से ३१ अक्टूबर, २००४), सम्पादक - सुभाषचन्द्र गंगवाल, १७४- एम. टी. क्लाथ मार्केट, दूसरा माला, इन्दौर - ४५२००२, मध्यप्रदेश, फोन - (०७३१) २४५९१३० (दु.), २४६९७३५(नि.)। जैन मित्र (साप्ताहिक - १४ अक्टूबर, २००४), सम्पादक - शैलेष डाह्याभाई कापडिया, जैन विजय प्रिंटिंग प्रेस, खपाटिया चकला, गाँधी चौक, सूरत - ३९५००३, गुजरात, फोन - (०२६१) २४२७६२१, मो. ९३७४७२४७२७ । नवभारत (दैनिक, २८ अक्टूबर, २००४), सम्पादक - पुराने बस स्टेण्ड के पास, नेपियर टाऊन, जबलपुर४८२ ००२, मध्यप्रदेश, फोन - (०७६१) ५००५१११ । श्री जिनेन्द्र वर्णी स्मरणांजलि, सम्पादक- डॉ. सागरमल जैन एवं अन्य, प्रकाशक - ब्र. अरहन्त कुमार जैन, श्री जिनेन्द्र वर्णी ग्रन्थमाला, ५८/४, जैन स्ट्रीट, पानीपत - १३२१०३, हरियाणा, फोन - (०१८०) २६३८६५५, मो. ९४१६२ - २१२३७, द्वितीय संस्करण - २००४, पृष्ठ- १२+१९०, मूल्य ८० रुपए । अमृत वाणी ( सन्तों की वाणियों का संकलन ) - संकलन एवं सम्पादन-परागपुष्प, प्रकाशक - डायनेमिक पब्लिकेशन्स (इ.) लि., द्वारा - आर. के. रस्तोगी, कृष्ण प्रकाशन मीडिया (प्रा.) लि., ११ - शिवाजी रोड, मेरठ- २५०००१, उत्तरप्रदेश, मूल्य - ५० रुपए । वन्दना के स्वरों में, रचयिता ऐलक श्री सम्यक्त्वसागरजी महाराज, प्रकाशक - श्रीपाल जैन 'दिवा', शाकाहार सदन, एल-७५, केसर कुंज, हर्षवर्धन नगर, भोपाल, मध्यप्रदेश । (ग) आचार्य श्री विद्यासागरजी द्वारा सृजित प्रमुख रचनाएँ मुनि विद्यासागरजी ने मुनि दीक्षा ग्रहण करने से पहले ही ब्रह्मचारी विद्याधर की अवस्था में आचार्य श्री माणिक्यनन्दी कृत सूत्रग्रन्थ 'परीक्षामुख' पर आचार्य श्री अनन्तवीर्य लघु द्वारा संस्कृत भाषा में रचित न्यायविषयक टीकाग्रन्थ 'प्रमेयरत्नमाला' की पं. हीरालाल सिद्धान्तशास्त्री द्वारा सम्पादित-अनुवादित 'चिन्तामणि' नामक हिन्दी व्याख्या / कारिकाओं को २४ अप्रैल १९६८ से लिखना प्रारम्भ कर दिया था । नसीराबाद, अजमेर, राजस्थान से प्रारम्भ हुआ यह लेखन कार्य क्रमश: मोर, मण्डा, दादिया आदि ग्रामों में २ सितम्बर १९६८ को द्वितीय समुद्देश्य के ग्यारहवें सूत्र तक उपलब्ध हुआ । आप्तपरीक्षा का कन्नड़ अनुवाद - आचार्य श्री विद्यानन्द स्वामी कृत न्यायविषयक ग्रन्थ 'आप्त-परीक्षा' का उन्हीं की स्वोपज्ञ संस्कृत वृत्ति सहित का कन्नड़ अनुवाद मुनिराज श्री विद्यासागरजी ने अजमेर से किशनगढ़रैनवाल, जयपुर, राजस्थान की ओर विहार काल के दौरान ग्राम फुलेरा में २८ अप्रैल १९७० से पूर्व ही प्रारम्भ किया। यह अद्यावधि अप्रकाशित है। पंचास्तिकाय (संस्कृत), आचार्य श्री कुन्दकुन्द देव विरचित 'पंचास्तिकाय' ग्रन्थगत १८१ प्राकृत गाथाओं का मदनगंज-किशनगढ़, अजमेर, राजस्थान में १९७१ में संस्कृत भाषा में अनुवाद 'वसन्ततिलका छन्द में अपूर्ण उपलब्ध एवं अप्रकाशित । 1
SR No.006155
Book TitleMukmati Mimansa Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrabhakar Machve, Rammurti Tripathi
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2007
Total Pages646
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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