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मूकमाटी-मीमांसा :: 271 “यहाँ सब का सदा/जीवन बने मंगलमय/छा जावे सुख-छाँव, सबके सब टलें-/अमंगल-भाव,/सब की जीवन लता हरित-भरित विहँसित हो/गुण के फूल विलसित हों
नाशा की आशा मिटे/आमूल महक उठे/"बस!" (पृ. ४७८) 'मूकमाटी' में (का पूरा कथानक) माटी के उद्धार की कथा काव्य रूप में है । यहाँ माटी आत्मा की प्रतीक है, जो भव-भटकन से मुक्ति के लिए सच्चे गुरु की शरण में स्वयं साधनालीन हो सुख-शान्ति के पथ पर चल कर स्वयं परमात्मा बनती है । अर्थात् माटी अपने संकर दोषों से विरत होकर मंगल कलश के रूप में ढलती है । इसके पहले यह नीति-नियमों की रीति से गुज़रकर अग्नि परीक्षा देती है :
"मेरे दोषों को जलाना ही/मुझे जिलाना है
_स्व-पर दोषों को जलाना/परम-धर्म माना है सन्तों ने।” (पृ. २७७) अग्नि परीक्षा के बाद पका हुआ कुम्भ अपनी महिमा के यश में अपने आप को नहीं भूलता है । वह तो माँ धरती, धृति-धारणी, भूमा का ही बना रहना चाहता है, जो इस बात का द्योतक है कि हम कितने ही वैभवशाली बनें, मगर अपनी संस्कृति, अपनी सभ्यता और माटी को न भूलें :
"धरती की थी, है, रहेगी/माटी यह ।/किन्तु/पहले धरती की गोद में थी
आज धरती की छाती पर है/कुम्भ के परिवेष में।” (पृ. २९९) यहाँ पर 'मूकमाटी' महाकाव्य की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि निर्जीव प्रतीक भी सजीव पात्र बनकर हमारे सामने ऐसे प्रस्तुत होते हैं जैसे कि साक्षात् वार्तालाप हो रहा हो । यहाँ पर महाकवि ने स्वर्ण कलश को आतंकवाद और पूँजीवाद का प्रतीक माना है, जबकि कुम्भ कलश तो दीपक के समान पथ निर्देशन करने वाला है :
"हे स्वर्ण कलश!/तुम तो हो मशाल के समान, कलुषित आशयशाली/और/माटी का कुम्भ है पथ-प्रदर्शक दीप-समान/तामस-नाशी
साहस-सहंस स्वभावी !" (पृ. ३७१) 'मूकमाटी' का कवि ‘सन्त' और 'साधक' होते हुए जनवादी भी है । कवि ने सामाजिक अव्यवस्थाओं का यथार्थ संकेत करने के साथ-साथ उनका आदर्शपरक समाधान भी सहज रूप में प्रस्तुत किया है :
___ “अब धन-संग्रह नहीं,/जन-संग्रह करो!" (पृ. ४६७) 0 "बाहुबल मिला है तुम्हें/करो पुरुषार्थ सही/पुरुष की पहचान करो सही,
परिश्रम के बिना तुम/नवनीत का गोला निगलो भले ही,
कभी पचेगा नहीं वह/प्रत्युत, जीवन को खतरा है !" (पृ. २१२) 'मूकमाटी' में समकालीन राजनीति, राजनैतिक दलों, न्याय व्यवस्था, भाग्य, पुरुषार्थ, नियति, काल, संस्कार, मोह, स्वप्न, कला, जीव, अध्यात्म, दर्शन, धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष आदि की व्याख्या सामयिक सन्दर्भो में की गई है ।