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(लिखतां रो निचोड़)
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प्रणमूं गणपति संपति करणा ॥धुपदं ॥
भिक्खू भारीमाल ऋष नृप भारी, स्वामी न्याय मार्ग ना नेतारी । सुखदायक स्वाम तणा सरणा, प्रणमूं गणपति संपति करणा ।। अखेराम जी नै गण मांहि लिया, भिक्खू बारै बोलां रा करार किया। लिखत गुणतीस अनुचरणा, प्रणमूं गणपति संपति करणा ।। ( भिक्खू) विविध मर्यादा बांधी भारी, एक गणपति नाम संपति सारी । लिखत बतीसा मांहै निरणा, प्रणमूं गणपति संपति करणा ।। फतूजी नै पिण मांहि लिया, भिक्खू बारै बोलां रा करार किया। तेतीस स्वाम वयण तरणा, प्रणमूं गणपति संपति तूंकारो, पंच दिवस पांचू विगै
करणा ॥
परिहारो ।
अज्जा क्रोध वसै देवै आंसू काढै तो दस दिन उच्चरणा, प्रणमूं गणपति संपति करणा ।। ग्रहस्थ आगे उतरती रो एक मासो, विगै पांचू त्याग कह्यो तासो । लिखत चोतीसा मांहै वरणा, प्रणमूं गणपति संपति करणा ।। ओरां में दोष देखी सेणो, तिण नै कही पानां में लिख लेणो । इकतालीसा लिखत में ए निरणा, प्रणमूं गणपति संपति करणा ।। गण बाहिर तथा मांहि जाणो, अंसमात्र उतरती रा पचखांणो । पैतालीस कह्यो तिम पग धरणा, प्रणमूं गणपति संपति करणा ।। -- आप में तथा गण में ताह्यो, संजम जाणो तो रहिज्यो गण माह्यो । ठागा. सूं रह्यां पापे पिंड भरणा, प्रणमूं गणपति संपति करणा ।। दगाबाजी सूं रहै तिण नै जाणो, अनंत सिद्धा रो साख सूं पचखांणो । बलै अनंत संसार संचरणां, प्रणमूं गणपति संपति करणा । कह्यो पेखी, तथा गुर नै कहै ते निरा पेखी । घणां दिन सूं को तो कुगति परणा, प्रणमूं गणपति संपति करणा ।।
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११ दोष तुरत धणी नै
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ढाळ १९
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१. लय - भारीमाल भजो भवियण प्राणी...।
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तेरापंथ : मर्यादा और व्यवस्था