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अनंता सिद्धां री साख
पचखांण ए जाण । अनंता, सिद्धां री साख सूं पचखांण ॥
करी सहु रे
ए पचखांण भांगण रा
किण
ही अनेरा टोळा माहै, जावा रा पचखांण ।। मर खपणो, पिण सूंस न भांगणो, एहवा अखर लिखत में जांण ॥ १४ ओ एहवो लिखत लिखतू ऋष भिक्खन रो, संवत् अठारै सो सार । गुणसठे महासुदि सातम शनि, हेठे साधां रा अखर उदार ॥ ऊपर लिखियो ते सही पिछाणो । लिखियो, तेह सही कर जाणो ॥ ऊपर, लिखियो ते सही साचो । लिखतू ऋष नानजी ऊपरलो, लिखियो ते सहु ही जाचो ।। १७ लिखतू ऋष सुखा ऊपर लिख्यो सही, लिखतु ऋष उदैराम । लिखतू खूसाल ऋष लिख्यो सही, लिखतु ओटा ऋष ताम || १८ लिखतू ऋष रायचंद ऊपर लिखियो ते सही सुजाणो ।
१५ लिखतू ऋष सुखराम, लिखतू अखेराम ऊपर १६ लिखतू ऋष खेतसी
लिखतू डूंगरसी लिखतू भगा ऊपर, लिख्यो ते सही पिछाणो || १९ केक संत स्वामी पास न हुंता, तिण वेला अखर किया नाही । तिण सूं का रा नाम न घाल्या, त्यां पछै लिख्या ते नही इण मांहि ॥ २० आप आप रा कर सूं अक्षर, साधां लिखने ताह्यो । ए मर्यादा अंगीकार कीधी, भिक्खू वयण धारया सुखदायो । २१ भिक्षु कर ना अक्षर देखी, जोड़ उगणीसै चवदै मास वैशाखै, शुकल २२ बावीस बांणू मुनि अज्जा लाडणूं, सरस
रची सुखकार । चौथ शनिवार ॥
जोड़ जय साजी | भिक्खू भारीमाल ऋषराय प्रतापै, जय जश संपति जाझी ॥
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तेरापंथ : मर्यादा और व्यवस्था