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________________ सं० १८३२ रो लिखत (युवराज-पद अरपण रो) १-(पृष्ठ ३ से संबंधित) ऋष भीखण सर्व साधा नै पूछ नै सर्व साध साधवियां री मरजादा बांधी। ते साधा नैं पूछ नैं साधां कनां थी कहवाय नैं, ते लिखीये छै १ सर्व साधु-साधवी भारमल जी री आज्ञा माहै चालणो। २ विहार चोमासो करणो ते भारमल जी री आज्ञा सूं करणो। ३ दिख्या देणी ते भारमल जी रा नाम दिख्या देणी। मर्यादा निर्माण का उद्देश्य चेला री कपड़ा री साताकारिया खेतर री आदि देइ नै ममता कर कर नै अनंता जीव चरित्र गमाय नै नरक निगोद माहै गया है। तिण सूं शिषादिक री ममता मिटावण रो नै चारित्र चोखो पाळण रो उपाय कीधो छै। विनय मूल धर्म नै न्याय मार्ग चालण रो उपाय कीधो छै। भेखधारी विकला नैं मूंड भेळा करै, ते शिषां रा भूखा एक-एक रा अवर्ण वाद बोले, फारा तोड़ो करै, कजिया राड़ करै, एहवा चरित देख नै साधां रे मर्यादा बांधी। शिष साषा रो संतोष कराय नै सुखे संजम पालण रो उपाय कीधो। समर्थन साधां पिण इमहिज कह्यो-१. भारमल जी री आज्ञा में चालणो। २. शिष्य करणा ते भारमल जी रे करणा। ३. भारमल जी घणां रजाबंध होय नै ओर साध नै चेलो सूपै तो करणो, बीजू करण रो अटकाव कीधो छै। ४. भारमल जी पिण आप रे चेलो करै ते पिण तिलोकचंद जी चंदरभाण जी आदि बुधवान साध कहै- ओ साधपणा लायक छै बीजा साधां नै परतीत आवै तेहवो करणो, परतीत नहीं आवै तो नही करणो। कीधां पछै कोई अजोग हुवै तो पिण तिलोक चंद चंदरभाण जी आदि बुधवान साधां रा कह्यां सूं छोड़ देणो, माहै राखणो नहीं। ५. नव पदार्थ ओळखाय नै दिख्या देणी। ६. आचार पाळां छा तिण रीते चोखो पाळणो,एहवी रीत परंपरा बांधी छै। ७. भारमलजी री इच्छा आवै गुरु भाइ चेलादिक नै टोळा रो भार सूपै ते पिण कबूल छै। ते पिण रीत परंपरा छै, सर्व साध-साधवियां एकण री आज्ञा माहै चालणों एहवी रीत बांधी छै। ८. कोइ टोळा मां सूं फारातोरो कर नै एक दोय आदि नीकळे, घणी धुरताइ करै बुगलध्यानी हुवै, त्यां ने साधु सरधणां नहीं। च्यार तीर्थ माहै गिणवा नहीं, ४३६ तेरापंथ : मर्यादा और व्यवस्था
SR No.006153
Book TitleTerapanth Maryada Aur Vyavastha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya, Madhukarmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2004
Total Pages498
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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