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दोहा
कुण-कुण वस्तु हाथ सूं, लेवे महा मुनिराय । ढाळ सातमी ने विषै, जीत परंपर मांय ॥ 'धोवण उष्णोदक, कर स्यूं ले मुनिराय । जल इकबीस जात नूं, बलि तसु मिलतो ताय ॥ आचारंग दूजे, प्रथमध्ययन पिछाण । सप्तम अष्टम उद्देशे, वारू श्री जिण बाण ॥ कर स्यूं ले आछण, इकबीसा में ताम | वर अर्थे अनूपम, आछण एहवो नाम ॥ उन्ही छाछ उपरली, मुनि निज कर स्यूं उतारी । आछण ले तेह में, दोष न सुध ववहारी ॥ बलि मांड चावळ नों, ते पिण
कर स्यूं लेवे । विवेकी
इक बीस जात में, न्याय
वैवै ॥
कर स्यूं लेवे
ताम ।
बलि ओषध - भेषज, दान चवदे
तेहना
कितायक
नाम ।
हिवे विगत ओषधी, हुँ अचित्त मीरच नें जीरो, एलायची नें बिदाम ॥
अभिलाख ॥
बलि उचित सिंघाड़ा, नोजा, पीस्ता, दाख | खारक, सोपारी, इसबगुल, १० अजमो आसाळ्यो, मेथी ने बलि अनारदाणा, अचित्त किया
११ बलि लवण, जायफळ, पबोड़ी, करस्यूं ले बिराली, अचित्त कियां १२ लवंग, सूंठ, गूंद, बलि, कस्तूरी बलि अचित्त नींवझर, गोली
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ढाळ ७
१. लय-नमूं अनंत चोबीसी
२. आयार चूला १ । १०१
प्रकार में, न्यारा
३. अरेठा के बीज
४. इमली के बीज
नाम ॥
खुरमाणी ।
ले जाणी ॥
कूंगा" पेख ।
सुविशेख ॥
नें कपूर ।
भूर ॥
चूरण
पंरपरा नीं जोड़ : ढा० ७ :
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