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२४ बलि गाज बीज री असझाइ कही छै, ठाणांग' दशमें ठाण।
पिण आद्रा नक्षत्र थी चित्रा तांइ, न गिणे जीत ववहार थी जाण।। २५ नव रुपियां रा दाम रो लेणो, नवमें ठाणे अर्थ मझार।
हाथ रा पना स्यूं पनरे हाथ री, पछेवड़ी नी ए जीत ववहार।। २६ मास चोमास रह्या एक क्षेत्रे, बड़ां लारे बलि रहिणो।
ए पिण जीत ववहार भिक्षु नो, तिण में दोष किम कहिणो॥ २७ बीजी ढाळ मांहि बोल कह्या बहु, जाणी नै सुध ववहार।
उगणीसे पनरे मृगसर विद आठम, जयजश हर्ष अपार ।।
२.ठाणं ९।३० १. ठाणं १०।२०
पंरपरा नी जोड़: ढा०२: ३३९