SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 235
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ कुतरी, भंडसूरी री ओपमां दीधी छै। तथा बले भीखणजी स्वामी पिण अवनीत रा लखण ओळषाया तेगाथा१ छिद्र' पेही छिद्र धारी राखै, कदे काम पड़े जब कहै दाखै। तिणरै चरित्र पाळण री नहीं नीत, इसड़ा भारीकर्मा अवनीत।। २ और साधु ने दोष लागो देखी, जो उ तुरत कहै तो निरापेषी। आ सुध साधांरी छोड़ी रीत। इस ड़ा.... || ३ गुर री निंद्या करै छान-छाने, तिण अवनीत री बात अवनीत मानै। ते चिंहु गति में होसी फजीत। इसड़ा.।। ४ छान-छानै टोळा में जिलो बांधे, गुरु आज्ञा विण आपरे छादै। तिण संजम सहीत खोई प्रतीत। इसड़ा....|| ५ गुरु सूं चेला रो मन फाइँ, बले टोळा मांहे मूर्ख भेद पाड़े। कूड़ कपट कर २ बोले विपरीत। इसड़ा..... || ६ सतगुर री बात देवे ठेली, अवनीत रो तुरत हुवै बेली। तिण छोडी सतगुर सूं प्रीत। इसड़ा । ७ गुर नै वांदे तिक्खूता रा पाठ गुणी, पिण मन माहे ओघटघाट घणी। छळ खेळे कपट दगा सहीत। इसड़ा ।। ८ जिण सूं हेत राखे तिणरा दोष ढंके, तूटा हेत देतो आळ नहीं संके। पछै मन मानै ज्यूं बोळे नसीत। इसड़ा....।। ९ ते नागा निरलज होय बेठा, त्यांनै बतलाया वचन बोलै धेठा। त्यांरै संजम रूप खिस गई भीत। इसड़ा....।। १० अवनीत भण-भण उळटो बूडै, कर-कर अभिमान वेसै तूंडै । तिणरै विनो नरमाई नहीं घट भीत। इसड़ा...|| ११ इसड़ा अवनीत जाबक भंडा, त्यारै केरै लागा ते पिण बूडा। त्यांमें पिण होसी घणी कुपीत। इसड़ा...|| अथ इहा पिण अवनीत रा लखण ओळखाया ते लखणां नै छांडणा। तथा साध सीखावणी ढाळ रा दूहा में पिण घणा दिन पछै दोष कहै तिणनै अपछंदो कह्यो, निर्लज कह्यो नागड़ो कह्यो, मरजादा रो ळोपणहार कह्यो। तिणरी बात मूळ मानणी नहीं, एहवो कह्यो। तथा बावना रा लिखत में आर्यां रै मर्यादा बांधी-किण ही आर्यां जांणनै दोष सेव्यो हुवै १. लय :एहवा भेषधारी पंचम काळे। चौथी हाजरी : २०९
SR No.006153
Book TitleTerapanth Maryada Aur Vyavastha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya, Madhukarmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2004
Total Pages498
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy