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________________ पद्य का लेखा-जोखा सामने आता है। उसके आधार पर आचार्य संघ की सारणा-वारणा करते हैं। विविध विषयों पर चिन्तन मनन और शिक्षा गोष्ठियां चलती है तथा मर्यादामहोत्सव (माघ शुक्ला सप्तमी) के दिन आचार्य एक-एक अग्रणी को संबोधन-पूर्वक अग्रिम विहार का निर्देश देते हैं। इसी दिन आचार्य भिक्षु द्वारा लिखित मर्यादा-पत्र का वाचन होता है। आचार्य नवनिर्मित गीतिका के माध्यम से उसका हार्द समझाते हैं। प्रस्तुत प्रकरण में जयाचार्य द्वारा लिखित मर्यादा-महोत्सव की ८ ढालें हैं। ...। रचना संवत् १९१५ मा० शु०१ १९२१ १९२२ मा० शु०६ १९२३ मा० शु०६ १९२४ मा० शु०६ १९२६ मा० शु०६ . १९२९ मा० शु०७ २४ १९३० मा० शु०७ १८ मर्यादा-महोत्सव की इस कड़ी में प्रति वर्ष के क्रम से कुछ और ढालें होनी चाहिए, पर मुझे नहीं मिली है। on os m orrm orm mwOM or w o u ७. गणविशुद्धिकरण हाजरी स्वामी भीखणजी ने अपने जीवन-काल में जो मर्यादाएं बनाई थीं, उनको जयाचार्य ने विभिन्न वर्गों में संकलित कर उनका विस्तृत भाष्य करते हुए एक शिक्षात्मक ग्रन्थ बना दिया। संघ विशुद्धि को दृष्टि से उसका बड़ा महत्त्व था। अतः सभी साधु-साध्वियों की हाजरी (उपस्थिति) में वह सुनाया जाने लगा। इसीलिए उसका नाम पड़ गया 'गणविशुद्धिकरण हाजरी'। बाद में संक्षिप्त रूप में मात्र ‘हाजरी' नाम ही रह गया। वे हाजरियां २८ हैं। उनमें स्वामीजी द्वारा लिखित मर्यादाओं के अंश यथाप्रकरण उद्धृत किए गए हैं। इस दृष्टि से उन्हें शिक्षा और मर्यादाओं का सुन्दर सम्मिश्रण कहा जा सकता है। संघ में साधु-साध्वियों को किस प्रकार रहना चाहिए, संघ और संघपति के साथ उनका कैसा संबंध होना चाहिए, शासन-हितैषियों को टाळोकरों का ससंर्ग क्यों वर्जित करना चाहिए आदि संघीय जीवन की अनेक आवश्यक सूचनाओं तथा शिक्षाओं से गृहस्थों को भी परिचित रखना आवश्यक होता है। हाजरियों द्वारा यह कार्य सुचारू रूप
SR No.006153
Book TitleTerapanth Maryada Aur Vyavastha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya, Madhukarmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2004
Total Pages498
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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