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________________ ६ ७ ८ ९ १० ११ ६ ७ ८ ९ १० ११ एकलौ साधु, एकली बाई तथा आर्यां सूं बात न करणी । कर्नै ऊभो पिण न रहणौ, इण मर्यादा में चूकां मंडल्या ५१ । इम साध्वी एकली, एकला भाई तथा साधू कनैं ऊभी न रैहणौ, बात न करणी, इण मर्यादा में चूकां मंडल्या ५१ और साध री पात्री रोकै बिनां कह्या, तौ मंडल्या च्यार पांच साधु देवै तै लेणा । इमज चिलमलि' उडै तौ मंडल्यां री रीत छै । कारण में बोझ न उपाडै, तेतौ बोझ कारण मिटियां पछै उपाड़णौ । पांती रौ काम साहज्य वाळां नै करणो । कारण में गौचरी न उठै तौ तथा रात्रि दिशां जाय, कारण में पडिकमणौ बेठ करै, हाजरी न सुगेँ, दिने तथा पौहर रात्रि पहलां नींद लेवै तथा आण रा ऊन्हो आहार मंगावै, तौ च्यार पांच साधु तथा सिरपंच साधु ने भ्यासै पको कारण तौ मंडलीया न देवै, अनै थोड़ा कारण भ्यासै तो ते मंडलीय दीयां मन बिगाड़े तो शेख अबदुळ मुफ्त रौ साथी अविनीत अजोग्य कहणौ । संवत् १९११ वैशाख सुदि १० गुरुवार । (हिन्दी अनुवाद) अकेला साधु, अकेली बहन तथा साध्वी से और अकेली साध्वी, अकेले साधु तथा अकेले भाई से बात न करें व पास में भी खड़ी न रहे। इस मर्यादा का भंग होने पर प्रायश्चित्त ५१ मंडलिया। दूसरे साधु की पात्री उसकी आज्ञा बिना काम में ले तो पंच-रूप में अधिकृत साधु जितना प्रायश्चित्त दे उसे स्वीकृत करे। इसी प्रकार चिलमलि उड़े तो प्रायश्चित्त की व्यवस्था है। रुग्णावस्था में समुच्चय का वजन न ले तो स्वस्थ होने पर उतना बोझ उठाये। रुग्णावस्था में उसके विभाग का काम साझ वाले करें! कारण में गोचरी न जाए, रात्रि में पंचमी समिति का कार्य करे, प्रतिक्रमण बैठकर करे, हाजरी की शिक्षा न सुने, दिन में या प्रहर रात बीतने से पहले सोए तथा सांय काल के समय गर्म आहार मंगाए -आदि के लिए अधिकृत साधु या सरपंच को रोग का पक्का भरोसा हो जाए तब प्रायश्चित्त न दे और थोड़ा रोग लगे तब प्रायश्चित्त दे, ऐसे प्रसंग पर अनमना बने उसे 'शेख अब्दुल मुफ्त का साथी, अविनीत, अयोग्य समझा जाए। (संवत् १९११ वैसाख शुक्ला १० गुरुवार) १. पर्दा । (पारसी भाषा का शब्द) १६२ तेरापंथ : मर्यादा और व्यवस्था
SR No.006153
Book TitleTerapanth Maryada Aur Vyavastha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya, Madhukarmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2004
Total Pages498
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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