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कर्म पास बंध्यो पड़े, संसार बंधीखाना मांय। आठ कर्म मूक्यां थकां, 'शिव-मंदिर सुखपाय।। कमल अग्र जळ बिंदुओ, चंचळ अथिर पिछाण। (तिम) तन धन सज्जन अथिर छै, काम भोग विष जाण ।। यौवन में बल रूप थो, वृद्धपणा में नाय। थोड़ा दिन रे आंतरै, ते पिण गयो विलळाय॥
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१.मोक्ष