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________________ - ----------- -- -- ---- - - - - - - - - प्राक्कथन किसी भी राष्ट्र अथवा समाज के सर्वांगीण विकास में युवा वर्ग की i सक्रिय एवं रचनात्मक सहभागिता का महत्वपूर्ण योगदान होता है। भारत की राजधानी महानगर दिल्ली में, एवं विशेष रूप से दक्षिण दिल्ली क्षेत्र में जैन युवाओं के सामाजिक, सांस्कृतिक एवं धार्मिक आस्था के विकास के किसी सक्षम मंच की आवश्यकता काफी समय से तीव्रता से महसूस की जा रही थी। इस दिशा में संगीत सम्राट स्व. श्री घनश्यामदास जी जैन की प्रेरणा, उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन के द्वारा सन् 1990 में दक्षिणी H दिल्ली की ऐतिहासिक महत्वपूर्ण आस्था-स्थली 'छोटी दादाबाड़ी' के 11 प्रांगण में कुछ जागरूक युवकों द्वारा जैन कुशल युवक मण्डल का गठन ॥ किया गया। जाति, धर्म व सम्प्रदाय के भेद-भाव से दूर रहकर सांस्कृतिक व जनकल्याणकारी कार्यों के संचालन; सामाजिक, सांस्कृतिक, शैक्षणिक, il खेलकूद एवं अनुकम्पा सम्बंधी कार्यों के संचालन व तद्विषयक प्रवृत्तियों के विकास के महनीय उद्देश्यों को लेकर मण्डल ने अपनी यात्रा का शुभारंभ किया। शनैः-शनैः इसके सदस्यों की संख्या बढ़ती हुई वर्तमान में 170 के करीब हो गई है। मण्डल ने संख्या-बाहुल्य के स्थान पर कार्य-बाहुल्य को अपना लक्ष्य निर्धारित करते हुए संघ सेवा के सभी अवसरों पर अपने स्वयंसेवक सदस्यों की कर्मठ भागीदारी से समाज का स्नेह प्राप्त किया। विभिन्न सामाजिक व सांस्कृतिक गतिविधियों के - - -
SR No.006152
Book TitlePratima Poojan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhadrankarvijay, Ratnasenvijay
PublisherDivya Sandesh Prakashan
Publication Year2004
Total Pages208
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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