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________________ ६५६ ] सिद्धान्तकौमुदीपरिशिष्टे बधिर जम्बु खदिर सुशर्मन् ( सशर्मन् ) दलतृ भलन्दन खण्डु कलन ( कनल ) यज्ञदत्त । इत्यरीहणादिः ।।५२ ।। (२) कृशाश्व अरिष्ट पारिश्म वेश्मन् विशाल लोमश रोमश लोमक रोमक शबल कूट वर्चल सुवर्चल सुकर सुकर प्रातर (प्रतर) सदृश पुरग पुराग सुख धूम अजिन विनत अवनत कुविद्यास ( कुविट्यास ) पराशर अरुस् अयस् मौद्गल्याकर (मौद्गल्य युकर ) । इति कृशाश्वादिः॥ ५३॥ (३) ऋश्य (ऋष्य ) न्यग्रोध शर निलीन [ निवास निवात ] निधान निबन्धन (निबन्ध ) [ विबद्ध ] परिगूढ [ उपगूढ ] असनी सित मत् वेश्मन् उत्तराश्मन् अश्मन् स्थूल बाहु खदिर शर्करा अनडुह ( अनडुह ) अरडु परिवंश वेणु वीरण खण्ड दण्ड परिवृत्त कर्दम अंशु। इत्यश्यादिः॥४॥(४) कुमुद शर्करा न्यग्रोध इक्कट संकट कंकट गर्त बीज परिवाप निर्यास शकट कच मधु शिरीष अश्व अश्वत्थ बल्वज यवास कूप विकत दशग्राम । इति कुमुदादिः ॥८५॥ (५) काश पाश अश्वत्थ पलाश पीयूता चरण वास नड वन कर्दम कच्छूल व.कट गुह बिस तृण कपूर बर्बर मधुर प्रह कपित्थ जतु सीपाल । इति काशादिः ॥८६॥ (६) तृण नड मूल वन पर्ण वर्ण वराण बिल पुल फल अर्जुन अर्ण सुवर्ण बल चरण बुस । इति तृणादिः॥८७॥ (७) प्रेक्षा फलका (हलका) बन्धुका ध्रुवका क्षिपका न्यग्रोध इक्कट कङ्कक संकट कट कूप बुक पुक पुट मह परिवाप यवाष ध्रुवका गर्ने कूपक हिरण्य । इति प्रेक्षादिः॥८८ ।। (6) अश्मन् यूथ ऊष मीन मद दर्भ वन्द गुद खण्ड नग शिखा कोट पाम कन्द कान्द कुल गह्व गुड कुण्डल पीन गुह इत्यश्मादिः ।।८९॥ (8) सखि अग्निदत्त वायुदत्त सखिदत्त [ गोपिल ] भल्लपाल (भल्ल पाल) चक्र चक्रवाक छगल अशोक करवीर वासव वीर पूर वज्र कुशीरक शीहर (सोहर) सरक सरस समर समल सुरस रोह तमाल कदल सप्तल । इति सख्यादिः॥१०॥ संकाश कपिल कश्मीर [ समीर ] सूरसेन सरक सूर । सुपन्थिन्पन्थ च । यूप ( यूथ ) अंश अङ्ग नासा पलित अनु नाश अश्मन् कूट मलिन दश कुम्भ शीर्ष चिरन्त (विरत ) समल सौर पञ्जर मन्थ नल रोमन् लोमन् पुलिन सुपरि कटिप सकर्णक वृष्टि तीर्थ अगस्ति विकर नासिका। इति संकाशादिः ॥ ११॥ (११) बल चुल नल दल वट लकुल उरल पुख ( पुल ) मूल उलडुल (उल डुल ) वन कुल । इति बलादिः ॥ १२॥ (१२) पक्ष तुक्ष तुष कुण्ड अण्ड कम्बलिका वलिक चित्र अस्ति । सुपथिन् पन्थ च । कुम्भ सीरक सरक सकल सरस समल अतिश्वन रोमन् लोमन् हस्तिन् मकर लोमक शीर्ष निवात पाक सहक ( सिंहक) अकुश सुवर्णक हंसक हिंसक कुत्स बिल खिल यमल हस्त कला सकर्णक । इति पक्षादिः ॥ ६३॥ (१३) कर्ण वसिष्ठ अर्क अर्कलूष द्रुपद
SR No.006151
Book TitleLaghu Siddhant Kaumudi Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGirdhar Sharma, Parmeshwaranand Sharma
PublisherMotilal Banrassidas Pvt Ltd
Publication Year1979
Total Pages716
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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