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परिशिष्टम्
प्रयोगाः भाषार्थ प्रयोगाः
भाषार्थः कारिका-कारिका।
सुगुल्फा-सुन्दरगुल्फा (घुटिका) सूर्या--सूर्यस्त्री।
'गिटटा इति पञ्जाबी। स. १२५६
शिखा-चोटी। इन्द्राणी-इन्द्र की स्त्री।
सू० १२६२ वरुणानी-वरुण की स्त्री।
कल्याणक्रोडा-ऐसी घोड़ी जिसके उरःभवानी-पार्वती।
स्थल पर कल्याण चिह्न है। शर्वाणी- ,,।
सुजघना--सुन्दर जघनवाली। रुद्राणी- ,
स. १२६४ मृडानी- ।
शूर्पणखा-रावण की बहन । हिमानी हिमसमुदाय ।
गौरमुखा-यह किसी स्त्री का नाम है। अरण्यानी-बहुत बड़ा जंगल ।
ताम्रमुखी-लाल मुखवाली लड़की। नौका-नाव।
सू. १२६५ शका-समर्था।
तटी-तट। बहुपरिव्राजका-अधिक .संन्यासी जिसमें
वृषली-शूदी। रहते हैं ऐसी नगरी।
कठी-कठगोत्रोत्पन्ना स्त्री। सूरी-कुन्ती।
बहवृची-बहुत ऋचायें पढ़नेवाली। यवानी-दुष्ट जौ।
मुण्डा-मुण्डित स्त्रो। यवनानी-यूनानी लिपि।
बलाका-बकपक्ति । मातुलानी, मातुली-मामी।
क्षत्रिया-क्षत्रियाणी। उपाध्यायानी, उपाध्यायी-गुरुस्त्री।
हयी-घोड़ो। प्राचार्यानी-श्राचार्य की स्त्री।
गवयी--स्त्री गवय। अर्याणी, अर्या--वैश्यस्त्री।
मुकयी--पशुविशेष (खबरी)। क्षत्रियाणी, क्षत्रिया-क्षत्रिया स्त्री। .
मत्सरी-मछली। सू० १२६० वस्त्रक्रीती-वस्त्रों से खरीदी हुई कोई चीज ।
सु. १२६६ धनक्रीता-धन से खरीदी (घोड़ी)।
दाक्षी-दक्षगोत्रोत्पन्ना स्त्री। सू० १२६१
सू० १२६७ अतिकेशी, अतिकेशा-बहुत केशों वाली। कुरुः कुरुकुलस्त्री। चन्द्रमुखी, चन्द्रमुखा-विषुवदना । अध्वर्युः-ब्राह्मणी।